Uttarakhand के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि काम में लापरवाही करने वाले सरकारी कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जाए। उन्होंने जल्द ही सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि ऐसे कर्मचारियों की सूची बननी शुरू हो गई है। सीएम के निर्देश के बाद कर्मचारियों में खलबली मची है। कहा जा रहा है कि जबरन सेवानिवृत्ति की जद में बहुत से कर्मचारी आएंगे। दरअसल, केंद्र सरकार पहले से ही स्वैच्छिक रिटायटमेंट को प्रमोट कर रही है। इसके तहत हजारों कर्मचारियों ने सेवानिवृत्ति ली है। अब उत्तराखंड सरकार भी इसी नक्शेकदम पर चल रही है। कहा जा रहा है कि सरकार के इस कदम से सरकारी कार्यालयों की सुस्ती दूर होगी। कर्मचारी और तन्मयता से काम करेंगे।
दरअसल, उच्चाधिकारियों के साथ एक बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐसे कर्मचारियों को चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं जो अपने दायित्व का भली भांति निर्वहन नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने कार्य संस्कृति में और अधिक सुधार लाने पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दायित्व का कायदे से पालन न करने वाले कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृति के लिए नियमानुसार कार्रवाई की जाए। बैठक में सचिव गृह शैलेश वगोली, डीजीपी दीपम सेठ, सचिव एवं गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।
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केंद्र सरकार आसान बना रही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नियम
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) के अधिकारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की प्रक्रिया को आसान बना रही है। हालांकि इसे लेकर समय–समय पर दिशा निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। कुछ समय पहले ही जारी किए गए अपने निर्देशों में डीओपीटी ने कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए संबंधित राज्य सरकार को कम से कम 90 दिन पहले लिखित सूचना दी जाए। अगर बाकी सभी शर्तें पूरी हैं, तो वह अधिकारी, तीन माह के नोटिस की अंतिम तिथि से रिटायर हो सकता है। इसके लिए संबंधित अधिकारी का सेवाकाल तीस वर्ष होना चाहिए। दूसरा, पचास वर्ष की आयु पूरी होने के बाद कोई अधिकारी, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए नोटिस दे सकता है। डीओपीटी ने अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के तहत उक्त दिशानिर्देश जारी किए हैं।