उत्तराखंड ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए पहाड़ पर आने वाले व्यावसायिक चालकों के लिए हिल एंडोर्समेंट परीक्षा अनिवार्य कर दी है। इसे पास करने के बाद ही व्यावसायिक चालक पहाड़ी मार्गों पर वाहन दौड़ा सकेंगे। सड़क दुघटनाओं को रोकने में इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और इस दौरान बड़ी संख्या में व्यावसायिक वाहन भी राज्य में प्रवेश करते हैं। लेकिन अब पहली बार यात्रा पर आने वाले अन्य राज्यों के व्यावसायिक वाहन चालकों के लिए पहाड़ी मार्गों पर वाहन चलाने की परीक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया है। परीक्षा में सफल होने पर ही उनके ड्राइविंग लाइसेंस में हिल एंडोर्समेंट (पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने की अनुमति) किया जाएगा।
पहले, अन्य राज्यों से आने वाले व्यावसायिक वाहन चालक केवल ऑनलाइन आवेदन और फीस जमा कर हिल एंडोर्समेंट करा लेते थे। इस प्रक्रिया में वाहन चालकों के कौशल का परीक्षण नहीं होता था, जिससे कई बार अनुभवहीन चालक भी चारधाम यात्रा के दौरान खतरनाक पहाड़ी रास्तों पर वाहन चलाते थे। इससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती थी और कई मामलों में दुर्घटना बीमा का भुगतान भी प्रभावित होता था।
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अब से पहली बार यात्रा में भाग लेने वाले बाहरी राज्यों के व्यावसायिक वाहन चालकों को ऋषिकेश और देहरादून के ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर परीक्षा देनी होगी। परीक्षा में पास होने के बाद ही उनके लाइसेंस में हिल एंडोर्समेंट किया जाएगा। जिन चालकों के पास पहले से हिल एंडोर्समेंट है, उन्हें यह परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। संयुक्त परिवहन आयुक्त एसके सिंह के अनुसार, इस सख्त प्रक्रिया से दुर्घटनाओं और यातायात जाम की स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। यह कदम चारधाम यात्रा को और अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
यात्रा में भाग लेने वाले सभी व्यावसायिक वाहनों के लिए ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं, जिसके लिए वाहन की फिटनेस और आवश्यक कागजात की जांच की जाती है। यह प्रक्रिया बाहरी राज्यों के व्यावसायिक वाहनों के लिए भी लागू होगी, लेकिन उनके चालकों को हिल एंडोर्समेंट के लिए परीक्षा पास करनी होगी। चारधाम यात्रा एक चुनौतीपूर्ण मार्ग से होकर गुजरती है, जहां पहाड़ों के घुमावदार रास्तों पर वाहन चलाना एक कुशलता की मांग करता है। जानकारों का कहना है कि यह नई प्रक्रिया यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में एक ठोस कदम है, जिससे भविष्य में दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी।