राज्य में गर्मी शुरू होते ही हर साल की तरह इस बार भी Uttarakhand के जंगल धधकने लगे हैं। कई हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो चुके हैं। वन विभाग पूरी ताकत से आग बुझाने में लगा है। लेकिन, कर्मचारियों की कम संख्या होने की वजह से परेशानी हो रही है। शुक्रवार की पूरी रात नैनीताल फॉरेस्ट डिविजन में जंगल भर जलते रहे । रामनगर फॉरेस्ट डिविजन के जंगलों भी जलते रहे। रानीबाग और ज्योलिकोट में कई हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो चुके हैं। कई जगह तो आबादी के बेहद करीब जंगल में लगी आग आ गई है। उधर, पिथौरागढ़ में भी अब तक पांच हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि इनमें लगी आग को बुझाने के लिए कर्मी कम पड़ रहे हैं। 3.5 लाख हेक्टेयर जंगल की सुरक्षा के लिए फायर सीजन में सिर्फ 110 फायर वॉचर अब तक तैनात किए गए हैं।
बृहस्पतिवार को जिला मुख्यालय के नजदीक सौड़लेख के जंगल में आग लग गई। वनकर्मी पूरे दिन आग बुझाने में जुटे रहे लेकिन बेकाबू वनाग्नि के आगे उनका कोई बस नहीं चला। देर रात 12 बजे तक वनकर्मी जंगल में डटे रहे, तब जाकर बमुश्किल आग पर काबू पाया जा सका। पिथौरागढ़-धारचूला हाईवे पर सतगढ़ के जंगल में तीन दिन बाद भी आग नहीं बुझाई जा सकी है। यह जंगल अब भी वनाग्नि की चपेट में है। इससे वन संपदा को खासा नुकसान पहुंचा है। पिथौरागढ़ के डीएफओ आशुतोष सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस बार गर्मी अधिक बढ़ने से वनाग्नि की घटनाओं में बढ़ोतरी की संभावना है। इसके लिए विभाग तैयार है। जल्द ही फायर वॉचरों की तैनाती की जाएगी। वनकर्मी जंगलों को आग से सुरक्षित बचाने के लिए गंभीरता से काम कर रहे हैं। जंगलों में आग लगाने वालों का चिह्नीकरण शुरू हो चुका है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
ग्राम समितियों का हो रहा गठन
वन विभाग के मुताबिक जंगलों को आग से बचाने के लिए जनसहभागिता जरूरी है। अधिकारियों के मुताबिक अब तक जिले में 20 से अधिक ग्राम समितियों का गठन किया जा चुका है। इसमें प्रधान, सरपंच और महिला, युवक मंगल दल के सदस्य शामिल हैं। समिति को वनाग्नि की रोकथाम में सहयोग के लिए 15 से 30 हजार रुपये तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वन विभाग को उम्मीद है कि यह पहल रंग लाएगी और समितियों के सहयोग से वनाग्नि पर नियंत्रण होगा।
जंगलों में आग लगाने वालों की खैर नहीं…
वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं को लेकर वन विभाग सतर्क हो गया है। जंगल में आग लगाने वालों का चिह्नीकरण विभाग ने शुरू किया है। विभाग ने इसमें गुप्त सूत्र भी लगाए हैं। वन सरपंचों और ग्रामीणों की भी इसमें मदद ली जा रही है। वन विभाग के मुताबिक जंगल में आग लगाने वालों को सीधे वन अधिनियम के तहत जेल भेजा जाएगा।
उधर, रानीबाग के जंगल में शुक्रवार दोपहर में आग लग गई। जैसे-तैसे उस पर काबू पाया गया, मगर देर शाम यह फिर धधकी तो बेकाबू हो गई। तब वन विभाग ने भी नियंत्रण पाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। हालात यह हो गई देर रात तक जंगल में सौ-सौ मीटर ऊंची लपटें उठती हुई नजर आईं। आग की शुरुआत दोपहर करीब दो बजे हुई। आग कैसे लगी, इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
आग लगने की सूचना पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य महेश भंडारी ने वन विभाग को दी। इस पर वन विभाग की टीम रेंजर मुकुल शर्मा के नेतृत्व में मौके पर पहुंची। यहां उन्होंने ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पाया। बाद में तेज हवा चलने और मौके पर सुलगते ढेर भी धधक उठे, इससे शाम 6:30 बजे आग फिर धधक गई। आग का विकराल रूप देखकर गणेश भट्ट व अन्य ग्रामीणों ने अपने घर तक आग आने से रोकने के लिए निजी संसाधनों से आसपास की आग बुझाई। जबकि जंगल में आग पर काबू पाने का कोई इंतजाम नहीं हो सका।
आरोप, सूचना के बाद भी आग बुझाने कोई नहीं पहुंचा
रानीबाग के स्थानीय लोगों का आरोप है कि आग लगने की सूचना देने के बाद भी कोई आग बुझाने नहीं पहुंचा। लोगों ने आग जल्द से जल्द बुझाने की मांग की है। रानीबाग के ग्रामीणों का कहना है आग मनोरा रेंज में लगी है, लेकिन इस रेंज के रेंजर फतेहपुर रेंज बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहें है।