Uttarakhand News : कुमाऊं और गढ़वाल उत्तराखंड राज्य के दो डिवीजन हैं। इसे ऐसे समझे-अधिकांश पहाड़ी क्षेत्र कुमाऊं मंडल में आते हैं। इसमें छह जिले शामिल हैं। अल्मोडा, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ और उधमसिंह नगर। गढ़वाल मंडल के अधिकांश भाग मैदान है। इसमें सात जिले आते हैं। चमोली, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी।
मौजूदा सीएम पुष्कर धामी कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले के टुंडी गांव से आते हैं। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी कुमाऊं मंडल से हैं। इसके बावजूद यहां से लगातार सरकारी कार्यालय देहरादून शिफ्ट किए जा रहे हैं। पहाड़ वैसे भी पलायन की समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में सत्ता का केंद्रीकरण राज्य के लिए कितना लाभप्रद होगा यह देखने वाली बात होगी। लेकिन, इन सबके बीच कुमाऊं मंडल के लोगों को लग रहा है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है।
कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले से कार्यालयों के शिफ्ट होने का सिलसिला लंबे समय से जारी है। बीते वर्षों में एक के बाद एक कार्यालय देहरादून भेज दिए गए। इनमें परिवहन आयुक्त से लेकर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय तक शामिल हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद आरटीओ कार्यालय के भवन में परिवहन आयुक्त कार्यालय खुला था। करीब डेढ़ साल तक परिवहन आयुक्त कार्यालय हल्द्वानी में चला। बाद में इसे देहरादून में शिफ्ट कर दिया गया। इसकी कोई ठोस वजह भी नहीं बताई गई। इसी तरह वन विभाग के कई कार्यालय नैनीताल और हल्द्वानी में बने थे। जिन्हें एक के बाद एक कर देहरादून पहुंचा दिया गया। नैनीताल में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक का कार्यालय होता था, जहां से वन्यजीव के संरक्षण, रेस्क्यू आपरेशन की अनुमति और दिशा- निर्देश देने का काम होता था। करीब नौ साल पहले इसे भी देहरादून शिफ्ट कर दिया गया।
हल्द्वानी में रामपुर रोड पर मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि नियंत्रण का कार्यालय होता था, जहां से प्रदेश में वनाग्नि नियंत्रण का कार्यक्रम संचालित होता था। यह कार्यालय भी देहरादून शिफ्ट हो गया। इस इमारत में मुख्य वन संरक्षक पर्यावरण का कार्यालय बनाया गया था, यह भी देहरादून में स्थानांतरित कर दिया गया। श्रम निदेशालय का कार्यालय हल्द्वानी में था। यहां पर उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का दफ्तर था, जिसे करीब पांच साल पहले देहरादून शिफ्ट कर दिया गया था।
वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन रावत कहते हैं कि अगर शासन को लगता है कि यहां कुछ कमी है तो उसे दूर किया जाना चाहिए। कार्यालयों को शिफ्ट किया जाना कोई विकल्प नहीं है। अगर ऐसे होता रहा तो पहाड़ एकदम खाली हो जाएंगे। देहरादून राजधानी है। लेकिन, बाकी जिलों का भी सरकार को ध्यान रखना चाहिए। इससे जनभावना आहत हो रही हैं। सीएम धामी को इस मामले में कदम उठाने होंगे।