Bharatiya Nyaya Sanhita : अपराध से भले ही बहुत से लोगों का कोई संबंध न हो। लेकिन, बात कुछ गंभीर अपराधों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास आदि की हो तो इससे संबंधित आईपीसी की धाराएं मसलन 302, 307 से ज्यादातर लोग परिचित होते हैं। फिलहाल एक जुलाई से ये धाराएं बदल जाएंगी। हत्या के लिए 302 की जगह 103 जबकि हत्या के प्रयास के लिए 307 की जगह धारा 109 लगाई जाएगी। इस दिन से आईपीसी, सीआरपीसी व भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू (बीएसए) हो जाएंगे।
पुलिसकर्मियों को इसके लिए अलग-अलग बैच में प्रशिक्षित किया गया है। साथ पुलिस सॉफ्टवेयर यानी क्राइम, क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) में भी बदलाव कर दिया गया है। पुलिस अफसरों ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता, दंड प्रकिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे। इनमें कई बदलाव हुए हैं जो अपराध से संबंधित धाराओं व प्रक्रिया के तहत होंगी। जैसे छेड़छाड़ के मामले अब तक धारा 354 की जगह धारा 74 के तहत लिखे जाएंगे। इसी तरह दुष्कर्म के मामले में धारा 376 की जगह धारा 64 लगाई जाएगी।
यह होंगे अहम बदलाव
- बीएनएस में सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा का भी प्रावधान किया गया है।
- 20 नए अपराधों को भी इसमें शामिल किया गया है
- 33 अपराधों में सजा बढ़ाई गई है।
- 83 ऐसे अपराध हैं, जिनमें जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है।
- इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को लेकर भी नए कानून में प्रावधान किए गए हैं।
- तीन से सात वर्ष से कम की सजा वाले अपराध में थानाध्यक्ष, पुलिस उपाधीक्षक अथवा उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेकर एफआइआर दर्ज करने से पहले 14 दिन के भीतर प्रारंभिक जांच कर सकेंगे।
- दुष्कर्म व एसिड अटैक के मामले में विवेचना के दौरान पीड़िता का बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा। महिला मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज करेंगे।
मुकदमा वापस लेना टेढ़ी खीर होगा
राजनीतिक दबाव के चलते अब तक कई संगीन मुकदमे भी कोर्ट से वापस हो जाते थे, लेकिन एक जुलाई से तीन नए कानून (भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) लागू होने के बाद यह संभव नहीं होगा। अब न्यायालय में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीड़ित को कोर्ट में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा। न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा।
हालांकि, एक जुलाई से पूर्व में दर्ज मुकदमों की न्यायालय में कार्यवाही पुराने कानूनों के अनुसार ही होगी। अधिवक्ता संगठनों के मुताबिक कुछ बदलाव हुए हैं ऐसे चुनौतियां तो आएंगी ही। हालांकि यह कई मायनों में बेहतर निर्णय है और इससे न्याय व्यवस्था और बेहतर होगी। हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों का भी कहना है कि धीरे-धीरे यह अभ्यास में आ जाएगा। तकनीक के दौर में अधिवक्ता, पुलिसकर्मी हो या आम व्यक्ति, सभी को खुद को अद्यतन करना होगा।
उत्तराखंड तैयार
कुछ दिन पहले गृह मंत्रालय के साथ हुई बैठक में उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया था तीनों नए आपराधिक कानूनों, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय सुरक्षा अधिनियम 2023 के लिए उत्तराखंड राज्य पूरी तरह तैयार है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि नए आपराधिक कानूनों के पास होने के बाद ही सेंट्रल डिटेक्टिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (CDTI) और ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPR&D) से तालमेल बनाते हुए PTC/ ATC और अन्य प्रशिक्षण केंद्रों से प्रदेश के 50 अधिकारियों को गाजियाबाद और जयपुर से मास्टर ट्रेनर का कोर्स कराया गया है। साथ ही उत्तराखंड पुलिस ने नए कानूनों को लेकर हस्तपुस्तिका भी तैयार की है, जिसके आधार पर सभी कोर्स का संचालन किया जा रहा है। पुलिस हस्तपुस्तिका में कानूनों को सरल तरीके से पढ़ने की विधि तैयार की गई है। इसकी एक-एक कॉपी सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को दी जा रही है।