अंग्रेजों के 164 साल पहले बनाए गए कानून शनिवार रात 11.59 मिनट बीतते ही इतिहास हो गए। New Criminal Laws लागू हो चुका है। आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) को लागू हो गया है। इसे भारतीय न्याय प्रणाली के लिए बड़ा बदलाव बताया जा रहा है। हालांकि, देश के कई हिस्सों में इसका विरोध भी किया जा रहा है। कई अधिवक्ता संगठन कुछ धाराओं विरोध में हैं। इस कानून में क्या नया है। आइए जानते हैं…
आतंकवाद की तय हुई परिभाषा
आईपीसी में आतंकवाद को लेकर कोई परिभाषा नहीं दी गई थी। कौन सा अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएगा इसका जिक्र नहीं था। नए कानून के तहत आतंकवाद को विस्तार से परिभाषित किया गया है। अब जो भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है उसे आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है। बीएनएस की धारा-113 में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। देश के बाहर भारत की किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी अब आतंकवादी कृत्य माना जाएगा। माना जा रहा है कि पिछले साल अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर हुए हमले के बाद विदेश में हुए हमले को भी आतंकवादी कृत्य की श्रेणी में शामिल किया गया है। नकली नोट या सिक्कों का चलाना या उनकी तस्करी को आतंकवाद की धारा में रखा गया है। नए कानून में बम विस्फोट के अलावा बायोलॉजिकल, रेडियोएक्टिव, न्यूक्लियर या फिर किसी भी खतरनाक तरीके से हमला करने से जिसमें किसी की मौत या चोट पहुंचती है तो उसे भी आतंकी कृत्य में गिना जाएगा
किस अपराध के लिए कितनी सजा
- आतंकी गतिविधि से मौत होने पर मौत की सजा के अलावा उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान।
- आतंकी साजिश रचने, कोशिश करने या आतंकी की मदद करने पर पांच साल से लेकर उम्रकैद की सजा और जुर्माना।
- आतंकी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान।
- आतंकी को जानबूझकर छिपाने पर तीन साल से उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान
- अपराध एवं दंड को किया गया परिभाषित और पुनर्परिभाषित…
- छीनाझपटी एक संज्ञेय, गैर जमानती और गैर शमनीय अपराध (बीएनएस धारा-304)
- आतंकवादी कृत्य की परिभाषा: इसमें ऐसे कृत्य शामिल हैं जो भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं या किसी समूह में आतंक फैलाते हैं (बीएनएस धारा-113)
- राजद्रोह में परिवर्तन: राजद्रोह के अपराध को समाप्त कर दिया गया है तथा भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को दंडित करने के लिए देशद्रोह शब्द का इस्तेमाल किया है (बीएनएस धारा-152)
- मॉब लिंचिंग को एक ऐसे अपराध के रूप में शामिल किया गया जिसके लिए अधिकतम मृत्युदंड है (बीएनएस धारा 103-(2))
संगठित अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है (बीएनएस धारा-111)
यह बदला
- अपराध आईपीसी बीएनएस
- हत्या धारा 302 धारा 103
- हत्या का प्रयास धारा 307 धारा 109
- गैर इरादतन हत्या धारा 304 धारा 105
- दहेज हत्या धारा 304बी धारा 80
- चोरी धारा 379 धारा 303
- दुष्कर्म धारा 376 धारा 64
- छेड़छाड़ धारा 354 धारा 74
- धोखाधड़ी धारा 420 धारा 318
- पति द्वारा क्रूरता का शिकार महिलाएं धारा 498ए धारा 85
- लापरवाही से मौत धारा 304ए धारा 106
- आपराधिक षडयंत्र के लिए सजा धारा 120बी धारा 61
- देश के खिलाफ युद्ध धारा 121, 121ए धारा 147, 148
- मानहानि धारा 499, 500 धारा 356
- लूट धारा 392 धारा 309
- डकैती धारा 395 धारा 310भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस)
. आईपीसी में धाराओं की संख्या 511 से घटाकर बीएनएस में 358 कर दी गई हैं।
. 20 नए अपराधों को जोड़ा गया है।
. कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है।
. छह छोटे अपराधों के लिए सामूदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है।
. कई अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है।
. कई अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ाया गया है।
बीएनएस की कुछ विशेषताएं…
. महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों को एक अध्याय में समेकित किया गया है।
. धारा 69 झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
. धारा 70 (2) सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है।
थाना क्षेत्र का हवाला देकर पुलिस टरका नहीं सकेगी
केस दर्ज कराने के बाद जांच से लेकर आगे की कार्रवाई तक सारी सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये फरियादी को दी जाएगी। इसके अलावा महिला अपराधों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है। दुष्कर्म के मामलों में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। अब पीड़िता जहां चाहेगी, पुलिस को वहां बयान दर्ज करना होगा। दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम फांसी, जबकि सामूहिक दुष्कर्म में 20 साल से फांसी तक का प्रावधान। हालांकि, फांसी का प्रावधान नाबालिग से दुष्कर्म के मामलों में ही होगा।
तीन दिन में एफआईआर
नए कानून में तय समय सीमा में एफआईआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। बीएनएसएस में व्यवस्था की गई है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।
आरोपपत्र दाखिल करने की समय सीमा भी तय
आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता।