दुनिया की प्रमुख वैक्सीन उत्पादक कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार कुबूल किया है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन (Covishield Vaccine) से टीटीएस जैसे साइड इफेक्ट हो सकते हैं। बता दें कि टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम से शरीर में खून के थक्के जमने की समस्या होती है। इससे प्रभावित व्यक्ति को हृदयगति थमने व स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, कंपनी ने कहा है कि यह दुर्लभ है। चूंकि, देश में में कोविशील्ड वैक्सीन बड़े पैमाने पर लगाई गई थी, इस खबर के सामने आने के बाद लोग चिंता में हैं। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन का उत्पादन लाइसेंस हासिल कर भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में किया था। साथ ही इसे दुनिया के कई देशों को निर्यात भी किया गया था। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था।
कैसे हुआ खुलासा
कंपनी पर यह मुकदमा जेमी स्कॉट ने दायर किया। इस टीके को लेने के बाद वह ब्रेन हैमरेज के शिकार हुए थे। इसके अलावा इंग्लैंड के कई परिवारों ने भी टीके के दुष्प्रभावों की शिकायत कोर्ट से की थी। कोर्ट पहुंचे शिकायतकर्ताओं ने कंपनी से क्षतिपूर्ति की मांग की है। जेमी स्कॉट के परिजन करीब 100 मिलियन डॉलर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। हालांकि, ब्रिटेन में पहले ही इस वैक्सीन को सुरक्षा कारणों से रोक लगा दी गई है। बताया जा रहा है कि कंपनी की इस कबूलनामे के बाद मुआवजा मांगने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

भारत में भी शुरू हो सकती है मुकदमेबाजी
देश में कोरोना की दूसरी लहर में काफी मौतें हुईं थीं। हालांकि, कारण का स्पष्ट पता नहीं चला था। अधिकतर मौतों में किसी न किसी शारीरिक समस्या से जोड़ कर देखा गया। स्वास्थ्य प्रदाताओं ने यह कभी स्वीकार नहीं किया कि मौतें कोरोना की वजह से हुईं हैं। या कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स मौत का कारण हो सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि ब्रिटेन की कोर्ट में कंपनी के कबूलनामे के बाद भारत में भी मुकदमों की झड़ी लग सकती है। इससे कंपनी की मुसीबतें काफी बढ़ सकती है।
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया कि देश में इस्तेमाल हुए कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद टीटीएस की स्थिति बन सकती है। डॉ. राजीव जयदेवन का बयान एस्ट्राजेनेका की स्वीकारोक्ति के बाद आया है। टीटीएस का संबंध मस्तिष्क या अन्य भीतरी अंगों की रक्त वाहिकाओं में थक्का जमने एवं प्लेटलेट्स काउंट कम होने की बीमारी से है। हालांकि, वह कहते हैं कि इस वैक्सीन का टीका लगवा चुके लोगों को ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। क्योंकि सरकार ने काफी जांच के बाद ही इसको अप्रूवल दिया था।
कोराना काल के बाद हार्ट अटैक के बढ़े मामले
कोरोना काल के बाद देश में हार्ट अटैक के खतरे बढ़ गए हैं। दावा किया जा रहा है कि युवा इसकी चपेट में सबसे ज्यादा आ रहे हैं। आए दिन ऐसे वीडियो वायरल होते हैं जिसमें नाचते वक्त किसी युवा की जान चली गई। हालांकि, कंपनी के कबूलनामे के पहले ही यह बात कही जा रही थी कि टीकाकरण के बाद इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। सिर्फ कायसबाजी ही है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एस्ट्राजेनेका ने टीका किया था विकसित
एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ कोविड रोधी टीके विकसित किए थे। ब्रिटेन की कई मीडिया रिपोर्टों में कंपनी के टीके पर गंभीर बीमारियों और मौतों के कारण बनने के आरोप लगाए गए हैं। केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष जयदेवन ने कहा, हालांकि कोविड टीकों ने कई मौतों को रोकने में मदद की है, फिर भी इसके साइड इफेक्ट से इन्कार नहीं किया जा सकता है।