#MyModiStory – 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन को खास बनाने की तैयारी चल रही है। उनके जन्म दिन से 2 अक्टूबर तक भाजपा शासित राज्यों में सेवा पखवाड़ा चलेगा। भाजपा नेता पीएम मोदी के साथ बिताए पलों और उनके योगदान को अपने-अपने तरीके से याद कर रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीएम मोदी के साथ के एक अनुभव को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया है।
सीएम धामी ने एक वीडियो शेयर करते हुए कहा, ‘#MyModiStory मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को करीब से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उनके साथ बिताया हर क्षण अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रप्रेम का नया पाठ सिखाता है। ऐसा ही एक पल वाराणसी में मेरे दिल पर गहरी छाप छोड़ गया।’
मुझे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी की कार्यशैली को करीब से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उनके साथ बिताया हर क्षण अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रप्रेम का नया पाठ सिखाता है।
ऐसा ही एक पल वाराणसी में मेरे दिल पर गहरी छाप छोड़ गया।
भाजपा शासित राज्यों के… pic.twitter.com/qYqW821Gzt— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 15, 2025
सीएम धामी वीडियो में कहते हैं कि मैं मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में बनारस गया था, हमारी यह बैठक रात 12.30…पौने एक बजे तक चली। यह बैठक क्रूज पर हो रही थी, उसके किनारे पर आने से करीब 15 मिनट का वक्त लग रहा था..। प्रधानमंत्री आगे खड़े थे और हम भी साथ ही थे…तभी उन्होंने कहा कि मुझे अभी एक कार्यक्रम में और जाना है। मैं असमंजस में था, यह सोचने लगा कि रात 1 बजे कौन सा कार्यक्रम है। एक बार मन में आया कि उनसे पूछूं कि सर अब कौन सा कार्यक्रम बचा है? इतनी देर में वह खुद बोल पड़े कि यहां बनारस में विकास के बहुत सारे प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उन प्रोजेक्टों को मैं देखने जाता हूं। पहले दिन में जाता था तो लोगों को परेशानी होती थी, जाम लग जाता था, लोग जाम में फंसते थे। …तो मैंने तय किया कि दिन के सारे काम खत्म करने के बाद रात को सारे विकास के काम देखने जाऊंगा। अगले दिन अखबार में पढ़ा कि प्रधानमंत्री ने 3 बजे रात तक उन सारे प्रोजेक्टों का भ्रमण किया, उनकी समीक्षा की…वो 3 बजे-4 बजे तक अपने कमरे में आए और अगले दिन सुबह नौ बजे हमारी फिर से बैठक थी और प्रधानमंत्री ठीक 9 बजे कार्यक्रम स्थल पर थे…।

एक्स पर सीएम धामी लिखते हैं, यही कहानी का सबसे अद्भुत पल है, अगली सुबह 9 बजे, बैठक शुरू होते ही वे सामने थे – पूरी ऊर्जा, वही तेज़ नज़र, वही अडिग एकाग्रता। मानो उन्होंने रात में नींद नहीं, बल्कि देश की सेवा से ऊर्जा पाई हो। उन्हें देखकर हम सबके मन में बस एक ही विचार उठा ‘यही है सच्चा नेतृत्व।’ वो जो उपदेश नहीं देता, उदाहरण बनकर जीता है। उनका जीवन सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व अनुशासन, प्रतिबद्धता और राष्ट्रसेवा का नाम है।