देश की पहली Tunnel Parking उत्तराखंड के गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में बनने जा रही है। प्रदेश की पुष्कर धामी सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को दोनों पार्किंग की डीपीआर तैयार करने का जिम्मा सौंपा है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड ने गंगोत्री में पार्किंग के लिए भूमि का चयन कर लिया है। वहीं, यमुनोत्री धाम के लिए दो स्थानों पर सर्वे चल रहा है। चारधाम यात्रा सहित सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में दो टनल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव जिला प्रशासन ने शासन को भेजा था।
जिला प्रशासन की ओर से प्रस्ताव मिलने के बाद शासन ने दोनों टनल पार्किंग के निर्माण के लिए डीपीआर और एनओसी के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड को 77 लाख रुपये दिए। बताया जा रहा है कि एनएचआईडीसीएल ने गंगोत्री में टनल पार्किंग के लिए धाम से करीब चार किमी पहले भूमि का चयन किया है। यमुनोत्री धाम में दो स्थानों पर जगह के लिए सर्वे किया जा रहा है।
सामरिक मामलों के जानकार बताते हैं कि गंगोत्री धाम में प्रस्तावित पार्किंग इसलिए भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि चारधाम यात्रा में तो यह उपयोगी साबित होगी ही, साथ ही भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बर्फबारी के दौरान सेना भी इस टनल पार्किंग का प्रयोग कर सकेगी।सूत्रों के मुताबिक, अभी तक 400-400 वाहनों की पार्किंग का प्रस्ताव है। हालांकि, यह बढ़ भी सकती है। इसमें वाहन एक ओर से अंदर जाएंगे और दूसरी ओर से बाहर आएंगे। इन दोनों टनल पार्किंग के निर्माण से चारधाम यात्रा मार्ग पर ट्रैफिक का दबाव कम हो जाएगा। पार्किंग बनने से करीब आठ हजार यात्रियों को लाभ मिलेगा।
11 स्थान किए गए थे चिन्हित
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पार्किंग एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। जबकि, यहां पर साल भर श्रद्धालु और पर्यटक आते रहते हैं। इन इलाकों में खुला समतल मैदान नहीं है। इसलिए टनल पार्किंग पर विशेष फोकस किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अब तक 11 स्थानों को टनल पार्किंग के लिए चिन्हित किया गया है। कुछ के डीपीआर भी तैयार किए जा रहे हैं।
11 राज्य Agniveers के लिए कर चुके हैं रिजर्वेशन, वरीयता देने का एलान, क्या ये काफी है?
टनल पार्किंग निर्माण में चुनौतियां भी
टनल पार्किंग के निर्माण में अभी बाधाएं भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती चुनौती पर्यावरणीय स्वीकृति की है। केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति के बाद ही काम शुरू हो सकेगा। ऐसी ही अनुमति की वजह से प्रदेश में कई जल विद्युत परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। दूसरी ओर, इन टनल के निर्माण के दौरान निकलने वाला मलबा भी बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है। हालांकि, सरकार की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि सभी नियमों का पालन करते हुए टनल निर्माण किए जाएंगे।