Covid Vaccine Side Effects पर एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) के कुबूलनामे के बाद पूरी दुनिया में कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) लगवा चुके लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंता में हैं। भारत में तो इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ था। देश में सबसे पहले इसी वैक्सीन का उपयोग किया गया था। कोवैक्सीन तो बाद में आई थी। उसकी उपलब्धता भी कोविशील्ड के मुकाबले कम थी। इसलिए अधिकतर लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन की डोज ली थी। वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कंपनी की स्वीकोरोक्ति के बाद देश भर में इस पर चर्चा छिड़ गई है। हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि डरने की कोई बात नहीं है। अगर वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफेक्ट होता तो अब तक देश में बड़े पैमाने पर केस सामने आ चुके होते। क्योंकि टीकाकरण हुए काफी समय बीत चुका है। किसी भी दवा का साइड इफेक्ट दिखने में इतना लंबा समय नहीं लगता है।
मौतों के कारण पर एम्स में हुआ है अध्ययन
कोरोना काल के बाद एम्स ने भी अचानक हुई मौतों की वजह जानने के लिए एक अध्ययन किया था। इसमें 50 फीसदी मौतें हार्ट अटैक से नहीं हुईं। सांस समेत दूसरी बीमारियों से मौतें हुई हैं। बचे 50 फीसदी को सीधे तौर पर हार्ट अटैक आया। एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खून में थक्का पड़ता तो सभी मौते हार्ट अटैक से होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सभी मौतों के पीछे कार्डियक अरेस्ट कारण नहीं
एम्स के फारेंसिक मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि कोरोना के बाद अचानक कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के कारण हो रही मौत का कारण जानने के लिए करीब 200 शवों पर शोध किया गया। इसमें पाया गया कि आधे से ज्यादा मरीजों की मौत कार्डियक अरेस्ट के कारण नहीं हुई थी। इनकी मौत के पीछे सांस की समस्या सहित कई दूसरे कारण मिले। जबकि, अन्य 50 फीसदी मौत के पीछे कार्डियक अरेस्ट कारण पाया गया था। इससे यह साबित होता है कि वैक्सीन की वजह से जाने नहीं गईं या जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने ब्रिटेन में किस आधार पर यह दावा किया है मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन, अपने देश में इस तरह का कोई मामला नहीं आया है।
यह भी पढ़ें – Covishield Vaccine से जम सकते हैं खून के थक्के, कोरोना की दवा बनाने वाली एस्ट्राजेनेका का सनसनीखेज खुलासा

कोविड वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि दुर्लभ मामलों में कुछ लोगों में टीके के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिससे थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) होने का जोखिम बढ़ जाता है। अपने देश में अधिकतर लोगों को एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन लगी है। वैक्सीन के दुष्प्रभावों के बारे में रिम्स रांची में न्यूरो एंड स्पाइन सर्जन डॉ. विकास कुमार बताते हैं कि वैक्सीन का प्रभाव कुछ महीनों में कम होने लगता है। टीकाकरण हुए काफी समय हो चुका है। ऐसे में ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट कहते हैं कि दवाओं-टीकों के दुष्प्रभाव तुरंत ही देखे जाते हैं। किसी भी प्रकार के टीके में एक से दो फीसदी दुष्प्रभाव का खतरा हो सकता है। कोविशील्ड के कारण होने वाली ‘टीटीएस’ की समस्या भी इसी तरह की हो सकती है।
TTS का खतरा: कैरें पहचान
विशेषज्ञों के मुताबिक- टीटीएस से कई प्रकार की समस्या हो सकती है। कुछ स्थितियों में आपातकालीन चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ जाती है।
1. सीने में दर्द या सिरदर्द बना रहना।
2. मतली-उल्टी की समस्या।
3. थक्के बनने कारण हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है जिससे आपको कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
4. थक्के के कारण मस्तिष्क में भी रक्त का प्रवाह कम हो सकता है जिससे ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा हो सकता है।
इफेक्ट के साथ साइड इफेक्ट भी होता है
विशेषज्ञों का कहना है कि कोई दवा हो या वैक्सीन थोड़ा बहुत साइट इफेक्ट सब चीजों का होता है। यहां तक मल्टीविटामिन की भी दवा का साइड इफेक्ट होता है। ऐसे में वैक्सीन का असर 1 लाख लोगों में से दो पर हो रहा है, जो .0002 परसेंट है। इसको लेकर बिना वजह परेशान होना सही नहीं है। वैक्सीन की वजह से लाखों लोगों की जान बची है। इस पर शंका करना जायज नहीं है। कई डॉक्टरों का कहना है कि लगता है कि टीके पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई राजनीति हो रही है। इसीलिए यह सब हो रहा है।