Elections Result में इस बार नोटा की चर्चा भी खूब रही। इसकी एक वजह यह थी कि इंदौर सीट पर दो लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया। हालांकि, इसकी बड़ी वजह यह थी कि कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नाम आखिरी वक्त में वापस ले लिया। और कांग्रेस ने नोटा के पक्ष में जमकर प्रचार किया। माना जा रहा है कि कांग्रेस को समर्थन करने वाले मतदाता नोटा को वोट दिए। इसके अलावा भी देश के कई स्थानों पर नोटा तीसरे स्थान पर रहा। देश में 63,72,220 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। यानी, इन्हें चुनाव में खड़ा कोई भी प्रत्याशी नहीं भाया। यह कुल पड़े वोटों का करीब एक फीसदी है। उत्तराखंड में भी नोटा का खूब इस्तेमाल हुआ। कई स्थानों पर नोटा तीसरे नंबर पर रहा।
उत्तराखंड में 52 हजार मतदाताओं ने नोटा को दिया वोट
प्रदेश में 52 हजार ऐसे मतदाता भी हैं, जिन्हें 55 में से कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आया। उन्होंने अपनी इस नापसंदगी को ईवीएम में नोटा का बटन दबाकर जाहिर किया है। प्रदेशभर में इस बार 52,630 मतदाताओं ने नोटा यानी नन ऑफ द एबव का प्रयोग किया। अल्मोड़ा में सर्वाधिक 16,697 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। गढ़वाल में 11,224, नैनीताल में 10,425, टिहरी में 7458 और हरिद्वार में 6826 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया है।
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ईवीएम ही नहीं पोस्टल बैलेट में भी नोटा के मत निकले
हरिद्वार के पोस्टल बैलेट में 163, नैनीताल के पोस्टल बैलेट में 198, टिहरी के पोस्टल बैलेट में 154 ने नोटा पर मुहर लगाई है। गढ़वाल और अल्मोड़ा में भी बड़ी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया है। गढ़वाल और अल्मोड़ा सीटें ऐसी हैं, जहां के सबसे ज्यादा प्रतिशत मतदाता किसी प्रत्याशी को पसंद ही नहीं करते। अल्मोड़ा में 2.56 और गढ़वाल में 1.57 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा दबाया है।
कई सीटों पर नोटा तीसरे स्थान पर
अल्मोड़ा के सात प्रत्याशियों में भाजपा-कांग्रेस के बाद नोटा के वोट ही तीसरे नंबर पर हैं। बाकी प्रत्याशी नोटा से कम वोट हासिल कर पाए हैं। गढ़वाल लोकसभा में भी भाजपा-कांग्रेस के बाद नोटा के वोट ही तीसरे स्थान पर रहे हैं। हरिद्वार में 14 प्रत्याशी थे लेकिन नोटा यहां पांचवें स्थान पर रहा। नैनीताल में नोटा के मत चौथे स्थान पर रहे। टिहरी लोकसभा में भी पांचवें स्थान पर नोटा रहा है।