चाय की चुस्की संग अगर रोजगार का तड़का भी लग जाए तो क्या बात है। Uttarakhand सरकार इसी दिशा में काम करने जा रही है। राज्य सरकार का प्लान है कि चाय की बागबानी को स्वरोजगार से जोड़ा जाए। इससे पहाड़ों पर रोजगार सृजित होगा। युवाओं को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैसे भी पहाड़ी लोगों का चाय से बेहद गहरा रिश्ता है। स्टील के बड़े ग्लास में गर्मागर्म चाय पिए बिना न तो पहाड़ियों की सुबह मुकम्मल होती है और न ही उनकी शाम खुशनुमा।
इसके लिए चार जिलों चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली व टिहरी के चयनित 120 हेक्टेयर क्षेत्र में आगामी जुलाई में चाय के पौधों का रोपण किया जाएगा। इसके बाद राज्य में चाय की खेती का दायरा बढ़कर 1491 हेक्टेयर पहुंच जाएगा। अभी तक आठ पर्वतीय जिलों के 29 विकासखंडों के 1371 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय की खेती हो रही है। चाय विकास बोर्ड का प्लान है कि प्रत्येक हेक्टेयर में 15 हजार पौधे लगाए जाएंगे। अगर उत्पादन बढ़ता है तो आगे चलकर इसका क्षेत्रफल बढ़ाया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि प्रदेश में चाय उत्पादन की बड़ी संभावना है। यहां की स्थितियां बेहद अनुकूल है। इस बीच उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने चंपावत में 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले चाय बागानों को कुछ समय पहले किसानों को वापस कर दिया था। बताया गया कि इस भूमि की लीज अवधि समाप्त हो गई थी। इसे देखते हुए चाय विकास बोर्ड ने चाय की खेती का दायरा बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए, ताकि चाय उत्पादन पर कोई असर न पड़े।
चाय विकास बोर्ड के निदेशक एमएस पाल के मुताबिक- चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली व टिहरी में चयनित 120 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपण के लिए चाय पौध की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई है। यहां प्रत्येक हेक्टेयर में 15 हजार पौधे रोपे जाएंगे। आगामी जुलाई माह में यह पौधारोपण शुरू होगा और अगस्त तक चलेगा। उन्होंने बताया कि चाय की खेती के लिए कुछ और नए क्षेत्र भी चिह्नित किए जा रहे हैं।
राज्य में चाय की खेती
- 1371 हेक्टेयर है वर्तमान में चाय की खेती का क्षेत्रफल।
- 29 चाय बागान हैं बोर्ड के अंतर्गत।
- 5.00 लाख किग्रा ग्रीन टी का इस बार उत्पादन।
- 96,000 किग्रा प्रोसेस्ड चाय कोलकाता भेजी।
- 05 चाय फैक्ट्रियां वर्तमान में हो रही संचालित।
- 3918 किसान वर्तमान में जुड़े हैं चाय की खेती से।
- 3200 से ज्याद श्रमिक चाय बागानों में कार्यरत।
हमसे बहुत आगे है हमारा पड़ोसी हिमाचल प्रदेश
बतादें कि भारत में सबसे ज्यादा यानी 52 प्रतिशत चायपत्ती का उत्पादन असम करता है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और हिमाचल प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। हिमाचल प्रदेश तो उत्तराखंड का पड़ोसी राज्य है। वहां की परिस्थितियां लगभग यहां जैसी ही है। इसलिए नीति नियंताओं को लगता है कि यहां भी चाय उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। हिमाचल में 2310.714 हेक्टेयर चाय की खेती की जा रही है। हिमाचल में 12 लाख किलोग्राम से अधिक का उत्पादन होता है। जबकि, उत्तराखंड में खेती 1300 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में की जाती है मगर उत्पादन महज एक लाख किलोग्राम तक ही होता है।
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