उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किया गया। इसे ऐसे ही बनाया गया बल्कि वैदिक काल से लेकर संविधान सभा के गठन तक गहन अनुसंधान किया गया। दुनिया में अलग-अलग समय में लागू रहे विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ का आम लोगों के जीवन पर क्या असर पड़ा जैसे गंभीर मुद्दों पर भी विस्तृत अध्ययन किया गया। अब जब यह कानून पूर्ण रूप से लागू होने के लिए तैयार है। पोर्टल बन चुका है। सरकार चाहती है कि लोग इसके बारे में सबकुछ जान लें। कैसे यह कानून तैयार किया गया। अध्ययन किस तरह किया गया आदि। हालांकि, जब उत्तराखंड सरकार ने यह कानून लागू किया तो कई लोग इस बाबत सवाल भी उठाए थे। लेकिन, तब सरकार इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं बताया था। अब बताया जा रहा है कि पुष्कर धामी सरकार जल्द ही इस रिपोर्ट का सार्वजनिक कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, यूसीसी की बुनियाद बनी उस अनुसंधान रिपोर्ट को सरकार जल्द सार्वजनिक करने की तैयारी में है। सरकार यूसीसी कानून और पोर्टल को लागू करने से पहले अनुसंधान रिपोर्ट को जनता के सामने लाना चाहती है ताकि आम लोगों को उन तथ्यों से रूबरू कराया जा सके, जिनकी वजह से यूसीसी कानून पारित किया गया।
अक्तूबर तक पूरा हो जाएगा पोर्टल का काम
पोर्टल का काम अक्तूबर तक पूरा होने की उम्मीद है, ठीक उससे पहले सरकार उस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर देगी। बताया जा रहा है कि यूसीसी कानून ड्राफ्ट करने वाली समिति ने इस रिपोर्ट में वैदिक काल से लेकर आज के संदर्भ में यूसीसी की जरूरत पर अनुसंधान किया है। इसमें यूसीसी का आधार, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ की पृष्ठभूमि, संविधान सभा की बहस, यूसीसी और अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ पर देश-विदेशों की स्थिति, आम लोगों पर उनके प्रभाव आदि विषयों पर अनुसंधान है।
बीती 6 फरवरी को यूसीसी कानून पेश किया गया तो सरकार ने उसकी अनुसंधान रिपोर्ट को उस समय सार्वजनिक करने से रोक लिया था। क्योंकि सरकार चाहती थी कि उस समय देश के पहले यूसीसी बिल की चर्चा ही इतनी अधिक थी कि अनुसंधान रिपोर्ट प्रकाश में नहीं आती। चूंकि अब बिल की नियमावली लागू करने की तैयारी है इसलिए उससे पहले अनुसंधान रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का फैसला लिया गया है।