India America Conflict : हाल के दशकों में सबसे बुरे दौर में चल रहे भारत-अमेरिका संबंधों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने अमरिका में संयुक्त राष्ट्र सत्र में नहीं शामिल होंगे। उनकी जगह विदेश मंत्री जयशंकर शिरकत करेंगे। पीएम मोदी का यह कदम अमेरिका को संदेश है कि भारत किसी भी कीमत पर झुकेगा नहीं। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार कहते हैं कि मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र सत्र में शामिल न होने से यह संदेश जाएगा कि भारत किसी भी कीमत पर उसके दबाव में नहीं आने वाला। अमेरिका खुद को दुनिया का स्वयंभु दादा बताता है। लेकिन, भारत की संप्रुभता सर्वोपरी है। आने वाले समय में मोदी के इस कदम को लेकर दुनिया में बड़ी बहस होनी तय है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इसे लेकर बयान भी दे सकते हैं। बतादें कि रूसी तेल की खरीदारी को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तनातनी चल रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल न खरीदे। जबकि, भारत का कहना है कि अमेरिका भारत को यह बताने वाला कौन होता है कि वह क्या करे क्या न करे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बेसिकली एक व्यापारी हैं। बेरोजगारी, महंगाई से जूझ रहे अमरिकी लोगों को उन्होंने ‘ग्रेट अगेन अमेरिका’ का नारा देकर लुभाया था। वह दुनिया को व्यापारिक नजरिए से तौल रहे हैं। भारत के साथ भी उन्होंने यही किया। लेकिन, यहां वह चूक कर बैठे। उन्हें लगा कि टैरिफ बढ़ाकर वह भारत को झुका लेंगे। अब तो अमेरिका के कई राजनेता और नौकरशाह भी भारत के मुद्दे पर उनकी नीति की आलोचना कर रहे हैं। हाल के दिनों में अमेरिका की ओर से भारत को लेकर कई आपत्तिजनक बयान सामने आए हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका नहीं जाना बेहतर समझा। जबकि, वह हाल ही में चीन गए, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। वह इस साल फरवरी में व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए अमेरिका गए थे। इसके बावजूद ट्रंप ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत मनमाने टैरिफ लगाए हैं, जिसमें रूसी तेल की खरीद पर जुर्माने के तौर पर 25 प्रतिशत टैरिफ भी शामिल है।
भारत-रूस-चीन को साथ देखकर हुई छटपटाहट

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को लेकर सोशल मीडिया पर एक बयान दिया। जिसमें उन्होंने चीन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई है और अपना दर्द बयां किया। ट्रंप ने ट्रूथ पर अपने पोस्ट में लिखा, ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है। मैं उन्हें एक लंबा और समृद्ध भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तस्वीर भी साझा की, जो कि हाल ही में चीन के तियानजिन में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन की है, जहां तीनों शीर्ष नेताओं की मुलाकात ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। उनके इस बयान को अमेरिकी विदेश नीति और वैश्विक समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है। ट्रंप पहले भी चीन की नीतियों और उसके बढ़ते प्रभाव को लेकर कई बार आलोचना कर चुके हैं। वहीं, भारत और रूस के बीच लगातार बढ़ते रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों को भी इस संदर्भ में देखा जा रहा है। यह टिप्पणी नई दिल्ली, मॉस्को और बीजिंग के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों के मद्देनजर ट्रंप का अब तक का सबसे तीखा कबूलनामा है।
ट्रंप के दोस्ती वाले बयान पर मोदी का जवाब
Deeply appreciate and fully reciprocate President Trump’s sentiments and positive assessment of our ties.
India and the US have a very positive and forward-looking Comprehensive and Global Strategic Partnership.@realDonaldTrump @POTUS https://t.co/4hLo9wBpeF
— Narendra Modi (@narendramodi) September 6, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं हमेशा उनका दोस्त रहूंगा। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की हम तहे दिल से सराहना करते हैं। हम उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। भारत और अमेरिका के बीच एक अत्यंत सकारात्मक, दूरदर्शी व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।
विदेश मंत्री जयशंकर करेंगे संबोधित

शुक्रवार को जारी महासभा के 80वें सत्र की उच्च-स्तरीय आम बहस के लिए वक्ताओं की संशोधित अनंतिम सूची के अनुसार, भारत का प्रतिनिधित्व एक मंत्री करेंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर 27 सितंबर को सत्र को संबोधित करेंगे। जुलाई में जारी वक्ताओं की पिछली सूची में पीएम मोदी 26 सितंबर को आम बहस को संबोधित करने वाले थे। इस्राइल, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के शासनाध्यक्ष 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बहस को संबोधित करने वाले हैं।
यूएनजीए वक्ताओं की सूची अनंतिम
आम बहस के लिए यूएनजीए वक्ताओं की सूची अनंतिम है। उच्च-स्तरीय सप्ताह की शुरुआत से पहले कार्यक्रमों और वक्ताओं में बदलाव की संभावना हमेशा बनी रहती है। सूची को समय के साथ-साथ अपडेट किया जाता रहता है।
हर साल सितंबर में शुरू होता है उच्च-स्तरीय सत्र
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में वर्ष का सबसे व्यस्त राजनयिक सत्र माना जाने वाला यह उच्च-स्तरीय सत्र हर साल सितंबर में शुरू होता है। इस वर्ष यह सत्र इस्राइल-हमास युद्ध और यूक्रेन संघर्ष के बीच आयोजित हो रहा है। 80वें सत्र का विषय है ‘एक साथ बेहतर: शांति, विकास और मानवाधिकारों के लिए 80 वर्ष और उससे भी अधिक’।
22 सितंबर को बैठक के साथ शुरू होगा सत्र
यह सत्र 22 सितंबर को ‘संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में’ एक बैठक के साथ शुरू होगा। महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र महासभा एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित करेगी। संयुक्त राष्ट्र की ओर से बताया गया कि यह बैठक बीजिंग में 1995 के ऐतिहासिक सम्मेलन के बाद से हुई प्रगति पर विचार करेगी। दुनिया भर में लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने में उपलब्धियों, सर्वोत्तम प्रथाओं, कमियों और मौजूदा चुनौतियों पर प्रकाश डालेगी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 24 सितंबर को एक जलवायु शिखर सम्मेलन आयोजित करेंगे, जो विश्व नेताओं के लिए अपनी नई राष्ट्रीय जलवायु कार्य योजनाओं को पेश करने और नए स्वच्छ ऊर्जा युग के लाभों का लाभ उठाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।