वैज्ञानिकों को नई तकनीक पर शोध करने की आवश्यकता है। जिससे वह तकनीकों को अपना कर अपनी आय में वृद्धि कर सके। किसान मेला में किसान एवं वैज्ञानिक का समावेश होता है जहां किसान विभिन्न नवीन तकनीकी की जानकारी प्राप्त करते हैं। यह किसान मेला कृषि और ऋषि का संगम है। यह बातें मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल व उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने कहीं। मौका था गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में 117वें किसान मेला का शुभारंभ का।
उन्होंने कहा कि राज्य में मोटे अनाज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले समय में मोटे अनाज के उत्पादन में उत्तराखंड अग्रणी होगा। उन्होंने वैज्ञानिकों से अह्वान किया कि अगली श्वेत क्रांति इस विश्वविद्यालय से प्रारंभ हो। उन्होंने वैज्ञानिकों को लैब टू लैंड की ओर ध्यान केंद्रीत करने की आवश्यकता पर बल दिया। सांसद अजय भट्ट ने कहा कि देश ही नहीं बल्कि विदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने पंत विवि ने मंच दिया है। उत्तराखंड लगातार देश के किसानों के हित में प्रयासरत है। पंत विवि इस ओर एक अहम भूमिका निभा रहा है। किसान मेला के माध्यम से किसानों तक नवाचारों और नवीन तकनीकों एवं प्रजातियों को पहुंचा रहा है।
कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि प्रसार शिक्षा निदेशालय के नौ कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा धान, गेहूं ही नहीं बल्कि गाय, बकरी, कुक्कुट, जय गोपाल वर्मी कम्पोस्ट का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। जिससे किसान इन सभी व्यवसाय को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। कुलपति ने बताया कि यहां के वैज्ञानिक किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। पिछले वर्ष 355 प्रषिक्षण विभिन्न विषयों पर आयोजित किए गए हैं। वर्ष में दो बार किसान मेला के माध्यम से किसानों को नवाचार, तकनीक और नवीन प्रजातियों की जानकारी दी जा रही है। साथ ही उन्होंने देश में बढ़ती हुई कुपोषण की समस्या पर अपने विचार रखे। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि किसान मेले में आकर बीज, नवीनतम फसल प्रजातियां, नवाचारों आदि की व्यवहारिक जानकारी ले कर उनका उपयोग अपनी कृषि में कर लाभ उठाए। कुलपति ने सभी अतिथियों को मेले में लगे स्टालों का अवलोकन कराया।
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इससे पहले उद्घाटन सत्र के प्रारंभ में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जितेन्द्र क्वात्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। मेले के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि पूर्व में आयोजित 116वें किसान मेले में 440 फर्मों द्वारा प्रदर्षन किया गया था। उसमें 28000 किसानों द्वारा मेले का भ्रमण किया गया। उन्होंने किसान मेले की थीम ‘सहकारी खेती के माध्यम से सतत कृषि विकास’ के बारे में बताते हुए कहा कि समर राईस के स्थान पर विभिन्न फसलों का प्रयोग करने के लिए किसान गोष्ठी के माध्यम से किसानों को जानकारी दी जाएगी।
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