Close Menu
तीरंदाज़तीरंदाज़
    https://www.teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/08/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest Dribbble Tumblr LinkedIn WhatsApp Reddit Telegram Snapchat RSS
    अराउंड उत्तराखंड
    • Uttarakhand : ग्रेजुएट लेवल भर्ती पेपर लीक मामले में एकल सदस्यीय आयोग ने सौंपी रिपोर्ट
    • बेजोड़ इकोनॉमी की राह पर Uttarakhand
    • किसान मेला : भारत की सभ्यता और संस्कृति कृषि के चारों ओर ही हुई विकसित : राज्यपाल
    • Uttarakhand : नगर निकायों की 18 सेवाएं होंगी डिजिटल, जानिए क्या होगा फायदा
    • Urban Drainage System के लिए सीएम धामी ने केंद्रीय वित्त मंत्री से मांगी सहायता
    • NCRB Report-2023 : एक और अनचाहा तमगा, अवैध असलहा रखने के मामले में हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड नंबर वन
    • NCRB REPORT-2023 : जो नहीं मिले, वो कहां गए ?
    • Uttarakhand : आदर्श रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किया जाए देहरादून-हरिद्वार स्टेशन
    • Uttarakhand : वन्य जीव हमले में जनहानि पर सहायता राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जाएगी
    • केमिस्ट को न बनाएं डॉक्टर, खुद से कफ सिरप लेने से पहले दस बार सोचें
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp Telegram LinkedIn
    Monday, October 13
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    Home»उत्तराखंड 360»मरचूला हादसा …जांच की रफ्तार देख कछुआ भी शरमा जाए
    उत्तराखंड 360

    मरचूला हादसा …जांच की रफ्तार देख कछुआ भी शरमा जाए

    दर्दनाक हादसे को हुए तीन माह बीता पर नहीं हो पाई जांच। हादसे के बाद क्रश बैरियर लगाने का लिया गया था निर्णय। अब तक पूरा नहीं हो पाया काम।
    teerandajBy teerandajFebruary 4, 2025Updated:February 5, 2025No Comments
    Share now Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    मरचूला बस हादसे की फाइल फोटो
    Share now
    Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn

    मरचूला हादसा, जिसमें 38 लोगों ने अपनों को गंवा दिया था। उसकी जांच तीन माह बाद भी अधूरी है। जांच कितनी गंभीरता से की गई है, इसका पता तो रिपोर्ट आने के बाद ही मालुम होगा। उत्तराखंड में होने वाले हर हादसे के बाद एक जांच बैठा दी जाती है। सबका हाल यही होता है। रिपोर्ट जब तक आती है तब तक मामला ठंडे बस्ते में चला गया होता है। किसी भी हादसे में जिम्मेदारी तय नहीं हो पाती। रोड सेफ्टी की कुछ सिफारिशें की जाती हैं। उस पर अमल कैसे होता है यह सबको अच्छी तरह पता है।

    यह भी पढ़ें : हादसों का प्रदेश, सवाल कई… जवाब नहीं!

    मरचूला के पास स्थित पुलिस चौकी में रखे सामान को देखकर हादसे की यादें हो रही हैं। तीन बैग ऐसे हैं जिन्हें लेने परिजन नहीं आए। क्योंकि इन बैगों का अब उनके लिए शायद कोई महत्व नहीं रह गया है। उसे उठाने वाले कंधे तो रहे नहीं। पुलिस कर्मियों ने बताया कि एक मोबाइल, एक मंगलसूत्र एक लैपटॉप सहित काफी सामान तो मृतकों के परिजन पहचान बताकर ले जा चुके हैं लेकिन कुछ सामान अभी भी बचा है। जो भी पहचान बताकर अपने सामान को पहचान लेता है उसे सामान दे दिया जाता है। हादसे की विभागीय जांच कर रहे परिवहन विभाग के अपर आयुक्त राजीव मेहरा मीडिया से हुई बातचीत में बताते हैं, मरचूला हादसे की जांच लगातार जारी है। जांच लगभग पूरी हो चुकी है। एक दो दिन में जांच रिपोर्ट सौंप कर दी जाएगी। सवाल उठ रहा है कि आखिर जांच में इतना वक्त लगा क्यों?

    यह भी पढ़ें :  मरचूला Bus Accident …मैं लौटा हूं अपने साथ कई सारे ‘काश’ लेकर

    70 किलोमीटर तक क्रश बैरियर लगाने थे
    मरचूला हादसे के बाद प्रदेश सरकार की नींद टूट्टी थी। तब क्षेत्र में सड़क हादसे रोकने के लिए सुरक्षात्मक करवाई करने के निर्देश दिए थे। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को सल्ट और मरचूला से लेकर करीब 70 किलोमीटर तक के क्षेत्र में सुरक्षात्मक कार्य करने के निर्देश दिए गए थे। लोक निर्माण विभाग रानीखेत प्रखंड के अधिशासी अभियंता ओमकार पांडे ने मीडिया से बताया कि करीब 70 किलोमीटर एरिया में क्रैश बैरियर लगाए जाने थे जिनमें से करीब 60 किलोमीटर के दायरे में जरूरी क्रश बैरियर लगा दिए गए हैं। अन्य सुरक्षात्मक कार्य भी कराए जा रहे हैं।

    4 नवंबर का मनहूस दिन
    मरचूला में सड़क हादसे का शिकार हुई बस 4 नवंबर की सुबह 6.30 बजे पौड़ी के नैनीडांडा ब्लॉक के बराथ-किनाथ से रामनगर के लिए रवाना हुई। गढ़वाल मोटर यूजर्स कॉपरेटिव सोसायटी (यूजर्स) की ये बस सुबह के करीब 8 बजे मरचूला के सारूड़ बैंड पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के पीछे जो सबसे बड़ी वजह बताई गई वो थी ओवरलोडिंग। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने बस में सवार घायलों के हवाले से लिखा कि ओवरलोडिंग इतनी ज्यादा थी कि ड्राइवर स्टीयरिंग घुमा नहीं पाया और दुर्घटना हो गई। 42 सीटर बस में 60 से ज्यादा लोग सवार थे लेकिन कहीं पर भी इस बस को रोका नहीं गया। जब सवाल उठे कि ओवरलोड होने के बावजूद इस बस को आगे जाने की अनुमति कैसे मिली?कुछ रिपोर्ट्स में परिवहन विभाग की जांच के हवाले से इसके लिए तकनीकी खामी को जिम्मेदार ठहराया गया। बताया ये भी गया कि सड़क हादसा प्रशासन की लापरवाही से हुआ। दो साल में लोक निर्माण विभाग को यहां क्रैश बैरियर लगाने के लिए फंड दिए जा चुके थे लेकिन इस मोर्चे पर काम हुआ नहीं।

    उत्तराखंड में क्यों होते हैं सड़क हादसे?
    एक सवाल जो अक्सर पूछा जाता है कि उत्तराखंड में इतने सड़क हादसे क्यों होते हैं? इस सवाल का जवाब तो सबसे पहले यहां के भूगोल में है। ये एक पहाड़ी इलाका है जहां काफी खराब भौगोलिक और क्लाइमेटिक सिचुएशन हैं जिससे ये क्षेत्र सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से काफी ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। इसके ऊपर यहां एक क्षेत्र को दूसरे से जोड़ने वाली सड़कें भी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं होती हैं। ओवरलोडिंग, खराब रोड, क्रैश बैरियर्स ना होने की वजह से भी यहां सड़क हादसे होते हैं। दूसरी तरफ, शराब पीकर गाड़ी चलाना, हाई स्पीड और ड्राइवरों की नींद पूरी ना होने की वजह से भी सड़क हादसे होते हैं। सर्दियों में कोहरा भी सड़क हादसे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। उत्तराखंड में सड़क हादसों की ये जो वजहें हैं, ये राज्य बनने से लेकर आज तक, समान ही हैं। देश के दूसरे इलाकों के मुकाबले उत्तराखंड में होने वाले सड़क हादसे ज्यादा जानलेवा साबित होते हैं। यहां वाहन अक्सर संकरी सड़कों के करीब की खाइयों में गिर जाते हैं जिससे नुकसान दो गाड़ियों के टकराने से भी ज्यादा होता है। 2019 में रोड सेफ्टी पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने कहा था कि उत्तराखंड सरकार की रोड सेफ्टी स्ट्रैटेजी टाउन यानी शहरों पर ज्यादा फोकस है। कमेटी ने सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस बढ़ाने का निर्देश दिया था। राज्य में हर जिले की सड़कें सुरक्षित हों, ये सुनिश्चित करने के लिए हर राज्य में डिस्ट्रिक्ट रोड सेफ्टी कमेटियां बनी होती हैं। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने कहा कि हर डिस्ट्रिक्ट कमेटी को रोड सेफ्टी एक्शन प्लान तैयार करना होगा। साथ ही इनको सेफ्टी प्लान को लागू करवाने की जिम्मेदारी होगी। इनकी ये भी जिम्मेदारी है कि ये सड़क दुर्घटनाओं को कम करने पर फोकस करें। हालांकि क्या ऐसा हो रहा है? इसकी कोई जानकारी कही नहीं मिलती है। हर बार जब सड़क हादसे होते हैं, तब प्रशासन एक्टिव हो जाता है।

    कैसे रुक सकते हैं सड़क हादसे?
    सड़क हादसों को रोकने के लिए सबसे पहले तो सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा। सरकार को चाहिए होगा कि वह सड़क दुर्घटनाओं का रुट कॉज एनालिसस करे। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हर सड़क हादसे की साइंटिफिक इनवेस्टिगेशन की जानी चाहिए। ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में सड़क हादसों को रोकने पर विचार नहीं हुआ हो। कई बार हुआ है लेकिन जमीन पर योजनाएं उतर नहीं पाई हैं। सरकार को चाहिए कि पहाड़ी इलाकों में रोडवेज बसों की संख्या बढ़ाई जाए। इससे जब पर्याप्त बसें होंगी तो ओवरलोडिंग जैसी समस्या कम होगी। इसके साथ ही बसों समेत दूसरे वाहनों का समय-समय पर फिटनेस चेक अप भी जरूरी है। नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ की एक रिसर्च में भी यही सुझाव दिए गए थे। रिसर्च में सुझाया गया है कि उत्तराखंड की पहाड़ियों पर नई सड़क बनते वक्त ये देखना चाहिए कि क्या वो क्षेत्र ऊबड़-खाबड़ तो नहीं हैं। कहीं पर ढलान और कहीं पर ऊंचाई तो नहीं है। इसके साथ ही क्या वो क्षेत्र भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र तो नहीं हैं। इन सभी को चेक करने के बाद ही रोड बनानी चाहिए। इसके साथ ही सड़क सुरक्षा के लिए पैराफीट और गाइड दीवारें, सेफ बेरीकेड्स, प्रॉपर ड्रेनेज और रोड साइन लगाए जाने चाहिए।

    Almora Bus Accident मरचूला बस हादसा
    Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on Pinterest Follow on YouTube Follow on WhatsApp Follow on Telegram Follow on LinkedIn
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    teerandaj
    • Website

    Related Posts

    Uttarakhand : ग्रेजुएट लेवल भर्ती पेपर लीक मामले में एकल सदस्यीय आयोग ने सौंपी रिपोर्ट

    October 11, 2025 उत्तराखंड 360 By teerandaj2 Mins Read3
    Read More

    बेजोड़ इकोनॉमी की राह पर Uttarakhand

    October 11, 2025 उत्तराखंड 360 By teerandaj5 Mins Read4
    Read More

    किसान मेला : भारत की सभ्यता और संस्कृति कृषि के चारों ओर ही हुई विकसित : राज्यपाल

    October 11, 2025 उत्तराखंड 360 By teerandaj6 Mins Read3
    Read More
    Leave A Reply Cancel Reply

    https://www.teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/08/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Top Posts

    Uttarakhand : आपदा में भी मुस्कुराई जिंदगी, पहाड़ों को लांघकर पहुंची मेडिकल टीम, घर में कराई डिलीवरी

    August 31, 202531K

    CM Dhami ने दून अस्पताल में निरीक्षण कर मरीजों से लिया फीडबैक, वेटिंग गैलरियों में पंखे लगाने, सुविधाएं बढ़ाने के निर्देश

    September 13, 202531K

    ऋषिकेश में अवैध निर्माणों पर MDDA की ताबड़तोड़ कार्रवाई, 11 बहुमंजिला स्ट्रक्चर सील 

    August 30, 202531K

    Chardham Yatra-2025: चलो बुलावा आया है, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा बहाल

    September 6, 202524K
    हमारे बारे में

    पहाड़ों से पहाड़ों की बात। मीडिया के परिवर्तनकारी दौर में जमीनी हकीकत को उसके वास्तविक स्वरूप में सामने रखना एक चुनौती है। लेकिन तीरंदाज.कॉम इस प्रयास के साथ सामने आया है कि हम जमीनी कहानियों को सामने लाएंगे। पहाड़ों पर रहकर पहाड़ों की बात करेंगे. पहाड़ों की चुनौतियों, समस्याओं को जनता के सामने रखने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड में सबकुछ गलत ही हो रहा है, हम ऐसा नहीं मानते, हम वो सब भी दिखाएंगे जो एकल, सामूहिक प्रयासों से बेहतर हो रहा है। यह प्रयास उत्तराखंड की सही तस्वीर सामने रखने का है।

    एक्सक्लूसिव

    Dhami Cabinet विस्तार का काउंटडाउन शुरू? पूर्व मंत्रियों को तत्काल मंत्री आवास खाली करने को कहा गया, देखें पत्र

    August 27, 2025

    Dehradun Basmati Rice: कंकरीट के जंगल में खो गया वजूद!

    July 15, 2025

    EXCLUSIVE: Munsiyari के जिस रेडियो प्रोजेक्ट का पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, उसमें हो रहा ‘खेल’ !

    November 14, 2024
    एडीटर स्पेशल

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202512K

    India Space Missions … अंतरिक्ष में भारत का बसेरा!

    September 14, 202511K

    Dehradun Basmati Rice: कंकरीट के जंगल में खो गया वजूद!

    July 15, 202511K
    तीरंदाज़
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest LinkedIn WhatsApp Telegram
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    • About Us
    • Atuly Uttaraakhand Emagazine
    • Terms and Conditions
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
    © 2025 Teerandaj All rights reserved.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.