नैनीताल हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तराखंड का केवल एक स्थान ही देवभूमि नहीं है, बल्कि पूरा राज्य देवभूमि है। ऋषिकेश नगर निगम सीमा के समीप व सीमा से बाहर शराब के छह डिपार्टमेंटल स्टोर का नवीनीकरण निरस्त करने को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा, यह लापरवाही और सत्ता के दुरुपयोग की पराकाष्ठा है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने आबकारी आयुक्त एक सप्ताह के भीतर कोर्ट में पांच लाख रुपये जमा करने का आदेश दिया। कहाकि यदि कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि आबकारी आयुक्त की कार्रवाई पूरी तरह से मनमानीपूर्ण थी तो धनराशि याचिकाकर्ताओं को दी जाएगी अन्यथा राशि आयुक्त को वापस कर दी जाएगी। कोर्ट ने आयुक्त को आवेदन के नवीनीकरण की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने का निर्देश भी दिया। मामले पर अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पवन कुमार व अन्य की याचिका पर दिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि कथित नीति के तहत आबकारी विभाग ने ऋषिकेश में छह स्टोर का नवीनीकरण यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि ये पवित्र स्थानों के नजदीक स्थित हैं। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने दलील दी कि बार, रेस्टोरेंट, रिसोर्ट और अन्य खुदरा विक्रेताओं के लाइसेंस नवीनीकृत किए गए हैं। वहां भी शराब परोसी जाएगी। केवल छह दुकानों के लाइसेंस नवीनीकरण नहीं किए गए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने आबकारी विभाग से कहा कि नवीनीकरण में विरोधाभास दिखता है। क्या छह दुकानों को शराब बेचने की अनुमति दी जाती है, तो इससे पवित्र शहर की पवित्रता प्रभावित होगी? लेकिन बार और रेस्टोरेंट में शराब बेचने से पवित्र शहर की पवित्रता प्रभावित नहीं होगी। इससे अधिक विरोधाभासी और विडंबनापूर्ण कुछ नहीं हो सकता।
आबकारी विभाग के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि इन स्टोर्स का नवीनीकरण इस आधार पर खारिज कर दिया गया है कि ये निषिद्ध क्षेत्र की सीमा के बाहर लेकिन करीब स्थित हैं। इसलिए विभाग ने नवीनीकरण आवेदन खारिज करने का विकल्प चुना। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह मनमानी की पराकाष्ठा है। एक क्षेत्र को निषिद्ध क्षेत्र घोषित करने के बाद आबकारी आयुक्त को किसी अन्य क्षेत्र को निषिद्ध क्षेत्र घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है।