Close Menu
तीरंदाज़तीरंदाज़
    https://www.teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/08/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest Dribbble Tumblr LinkedIn WhatsApp Reddit Telegram Snapchat RSS
    अराउंड उत्तराखंड
    • Uttarakhand : ग्रेजुएट लेवल भर्ती पेपर लीक मामले में एकल सदस्यीय आयोग ने सौंपी रिपोर्ट
    • बेजोड़ इकोनॉमी की राह पर Uttarakhand
    • किसान मेला : भारत की सभ्यता और संस्कृति कृषि के चारों ओर ही हुई विकसित : राज्यपाल
    • Uttarakhand : नगर निकायों की 18 सेवाएं होंगी डिजिटल, जानिए क्या होगा फायदा
    • Urban Drainage System के लिए सीएम धामी ने केंद्रीय वित्त मंत्री से मांगी सहायता
    • NCRB Report-2023 : एक और अनचाहा तमगा, अवैध असलहा रखने के मामले में हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड नंबर वन
    • NCRB REPORT-2023 : जो नहीं मिले, वो कहां गए ?
    • Uttarakhand : आदर्श रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किया जाए देहरादून-हरिद्वार स्टेशन
    • Uttarakhand : वन्य जीव हमले में जनहानि पर सहायता राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जाएगी
    • केमिस्ट को न बनाएं डॉक्टर, खुद से कफ सिरप लेने से पहले दस बार सोचें
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp Telegram LinkedIn
    Sunday, October 12
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    Home»जरा हटके»Research … कृत्रिम बुद्धिमत्ता घटा रही आपकी यादाश्त
    जरा हटके

    Research … कृत्रिम बुद्धिमत्ता घटा रही आपकी यादाश्त

    मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) का ताजा शोध। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से हमारे संज्ञानात्मक बोध यानी सोचने-समझने की क्षमता बुरी तरह हुई प्रभावित।
    teerandajBy teerandajJune 25, 2025No Comments
    Share now Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    Share now
    Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn

    Research …  दो दशक पहले ऐसे बहुत से लोग थे जिन्हें दर्जनों लोगों के फोन नंबर याद रहते थे। अब की स्थिति यह है कि बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें अपना दूसरा मोबाइल नंबर याद नहीं हैं। यहां तक की घरवालों के नंबर भी वह याद नहीं कर सके हैं। यह सब हर हाथ में मोबाइल आने के बाद हुआ है। लोगों की डायरी रखने की आदत खत्म हो गई है। एक समय इसमें सैकड़ों लोगों के नंबर लिखे होते थे। अब जमाना कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का आ गया है। आप कुछ भी पूछो, झट से जवाब मिल जाता है। आजकल बच्चे होमवर्क तक करने में इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। ऑफिस-घर हर जगह इसके उपभोक्ता बढ़ गए हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि यह आपको भुलक्कड़ बना रहा है। एक शोध में सामने आया है कि चैटजीपीटी या इसी तरह की अन्य एआई एप का का इस्तेमाल करने वालों की दिगाम के काम करने की क्षमता 55 फीसदी तक घट सकती है।

    यह भी पढ़ें : अब धान-गेहूं भी काटेगा रोबोट…दस के बराबर करेगा काम

    चैटजीपीटी इस्तेमाल करने वाले 83 फीसद लोग कुछ ही मिनटों में यह भूल गए कि उन्होंने क्या लिखा था। यह Research मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने किया है। यह शोध चार माह तक किया गया। इसमें यह बात निकलकर आई कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता से हमारे संज्ञानात्मक बोध यानी सोचने-समझने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित किया है। शोध के मुताबिक, एआई के बिना काम करने वालों की तुलना में इसे इस्तेमाल करने वालों के मष्तिष्क की गतिविधियों में तारतम्यता 55 फीसदी घट जाती है। एआई इस्तेमाल करने वालों का दिमाग इस कदर इसका गुलाम बन जाता है कि शायद ही कोई अपनी लिखी एक पंक्ति को सही से याद रख पाए। शोध के दौरान चैटजीपीटी जैसे टूल की मदद न लेने वाले 95 फीसदी लोगों को अच्छी तरह याद था कि उन्होंने क्या लिखा।

    47 फीसदी तक घटी दिमाग में संचार की सक्रियता
    एमआईटी ने यह शोध विशेष तौर पर चैटजीपीटी इस्तेमाल करने वालों पर किया। बस चार माह में जुटाए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि मष्तिक तंत्रिका की गतिविधियां 79 से घटकर 42 हो गई। दिमाग में संचार की सक्रियता 47 फीसदी घट गई। शोध में पाया गया कि एआई उपयोग करने वालों की याददाश्त पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ा और उनकी सोच में रचनात्मकता का स्तर भी नगण्य हो गया।

    सहायक नहीं बन रही कमजोरी
    चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने वालों से Research के दौरान खुद से कुछ लिखने के लिए कहा गया तो वह एक लाइन भी लिखने में असहाय नजर आए। अध्ययन के मुताबिक, चैटजीपीटी का इस्तेमाल शुरू करने के साथ ही दिमाग की सक्रियता में कमी आने लगती है और कुछ ही हफ्तों में यह प्रौद्योगिकी लोगों के लिए सहायक बनने के बजाय उनकी कमजोरी बन जाती है। एआई की जगह गूगल का इस्तेमाल फिर भी बहुत ज्यादा बेहतर है। शोध के दौरान गूगल की मदद लेने वाले सिर्फ 11 फीसदी लोग ही यह भूले कि उन्होंने क्या लिखा था।

    सावधानी से करें इस्तेमाल
    शोधकर्ताओं का कहना है कि अपना 80% समय स्वतंत्र रूप से सोचने में बिताएं। केवल 20% हिस्सा तथ्यों की जांच या सुधारों के लिए एआई की मदद से पूरा करें। अगर आप पूरा काम एआई की मदद से करना चाहते हैं तो यह आपके लिए आने वाले समय में काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

     

     

    research news
    Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on Pinterest Follow on YouTube Follow on WhatsApp Follow on Telegram Follow on LinkedIn
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    teerandaj
    • Website

    Related Posts

    Research : खेल के मैदान से दूर रहने वाले बच्चे जिंदगी की मुश्किलों से जल्द मान लेते हैं हार

    September 30, 2025 दुनिया भर की By teerandaj4 Mins Read2
    Read More

    Womb Ceremony: गिरते सामाजिक मूल्यों के बीच ‘संस्कारों’ में बढ़ रही लोगों की दिलचस्पी

    August 24, 2025 कवर स्टोरी By teerandaj10 Mins Read10K
    Read More

    Oh My Pigeons! छोटा सा कबूतर, खतरा बड़ा!

    July 15, 2025 एडीटर स्पेशल By teerandaj9 Mins Read1K
    Read More
    Leave A Reply Cancel Reply

    https://www.teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/08/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Top Posts

    Uttarakhand : आपदा में भी मुस्कुराई जिंदगी, पहाड़ों को लांघकर पहुंची मेडिकल टीम, घर में कराई डिलीवरी

    August 31, 202531K

    CM Dhami ने दून अस्पताल में निरीक्षण कर मरीजों से लिया फीडबैक, वेटिंग गैलरियों में पंखे लगाने, सुविधाएं बढ़ाने के निर्देश

    September 13, 202531K

    ऋषिकेश में अवैध निर्माणों पर MDDA की ताबड़तोड़ कार्रवाई, 11 बहुमंजिला स्ट्रक्चर सील 

    August 30, 202531K

    Chardham Yatra-2025: चलो बुलावा आया है, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा बहाल

    September 6, 202524K
    हमारे बारे में

    पहाड़ों से पहाड़ों की बात। मीडिया के परिवर्तनकारी दौर में जमीनी हकीकत को उसके वास्तविक स्वरूप में सामने रखना एक चुनौती है। लेकिन तीरंदाज.कॉम इस प्रयास के साथ सामने आया है कि हम जमीनी कहानियों को सामने लाएंगे। पहाड़ों पर रहकर पहाड़ों की बात करेंगे. पहाड़ों की चुनौतियों, समस्याओं को जनता के सामने रखने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड में सबकुछ गलत ही हो रहा है, हम ऐसा नहीं मानते, हम वो सब भी दिखाएंगे जो एकल, सामूहिक प्रयासों से बेहतर हो रहा है। यह प्रयास उत्तराखंड की सही तस्वीर सामने रखने का है।

    एक्सक्लूसिव

    Dhami Cabinet विस्तार का काउंटडाउन शुरू? पूर्व मंत्रियों को तत्काल मंत्री आवास खाली करने को कहा गया, देखें पत्र

    August 27, 2025

    Dehradun Basmati Rice: कंकरीट के जंगल में खो गया वजूद!

    July 15, 2025

    EXCLUSIVE: Munsiyari के जिस रेडियो प्रोजेक्ट का पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, उसमें हो रहा ‘खेल’ !

    November 14, 2024
    एडीटर स्पेशल

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202512K

    India Space Missions … अंतरिक्ष में भारत का बसेरा!

    September 14, 202511K

    Dehradun Basmati Rice: कंकरीट के जंगल में खो गया वजूद!

    July 15, 202511K
    तीरंदाज़
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest LinkedIn WhatsApp Telegram
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    • About Us
    • Atuly Uttaraakhand Emagazine
    • Terms and Conditions
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
    © 2025 Teerandaj All rights reserved.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.