Reservation To Agniveers : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाएगा। साथ ही कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इस बाबत कानून भी बनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा के मौके पर एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए सीएम धामी ने कहा कि वह भी आर्मी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इसलिए इस मसले पर वह बेहद गंभीर हैं। साथ ही सीएम ने कहा कि वह इस मुद्दे पर बहुत से सेना के अफसर और सैनिक से बात भी कर चुके हैं।
बता दें कि कुमाऊं के बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत और पिथौरागढ़ समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में युवाओं ने अग्निवीर योजना के विरोध में प्रदर्शन कर चुके हैं। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी विपक्षी दलों ने भी इस योजना को मुद्दा बनाया था।
क्या है अग्निवीर योजना
अग्निवीर योजना के तहत आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में 4 साल के लिए युवाओं की भर्ती की जाती है। यह भर्ती ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की होती है। भर्ती होने पर पहले छह महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद जवानों की तैनाती की जाती है।
चार साल बाद कार्य क्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाती है। रेटिंग देखकर मेरिट लिस्ट तैयार होती है, जिसमें से 25 फीसदी अग्निवीरों को सेना में परमानेंट कर दिया जाता है। बाकी जवान वापस आकर कोई और नौकरी या फिर कारोबार कर सकते हैं। अग्निवीरों को 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट दिया जाएगा। बता दें कि अग्निवीरों की भर्ती साल में दो होती है। मौजूदा वक्त में मेडिकल को छोड़कर हर कैडर में अग्निवीरों की भर्ती हो रही है। अनुशासन अथवा किसी अन्य कारण से अग्निवीर की सेवा कभी समाप्त की जा सकती है। ये सैनिक चार साल से पहले सेवा नही छोड़ सकते हैं। हालांकि, विशेष परिस्थिति में सक्षम अधिकारी की अनुमति से ऐसा हो सकता है। अग्निवीरों को पेंशन, ग्रैच्युटी, कैंटीन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिलतीं।