आपदा, तीन अक्षरों का शब्द। लेकिन, यह शब्द इस वर्ष Uttarakhand के लोगों की पीड़ा बयां करने में नाकाफी साबित हो रहा है। आपदा के बाद रोते-बिलखते लोग, जो अपनी पीड़ा भी नहीं व्यक्त कर पा रहे हैं। रात और भोर में प्रकृति के रौद्र रूप ने सबको हिला कर रख दिया है। धराली-थराली, सहस्त्रधारा और एक दिन बाद चमोली। इसके अलावा भी प्रदेश में कई स्थानों पर भुस्खलन, बाढ़ और बादल फटने की घटनाएं हुईं। घर-दुकान और सड़के तो तिनके की तरह पानी के साथ बह जा रही हैं। अब तक सौ से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कई लोग लापता हैं। किसी के घर कुछ दिनों बाद शादी थी तो कहीं अन्य कार्यक्रम की योजना बन रही थी। लेकिन, प्रकृति के रौद्र रूप ने सारे आरमानों पर पानी फेर दिया। देखने वालों की आंखों में आंसू आ जाते हैं लेकिन पीड़ितों की आंखें पथरा गई हैं। लेकिन, इनके मौन में भी दर्द नजर आ जाता है। कुल मिलाकर हालात यह हैं कि इसे शब्द या तस्वीरों से बता पाना मुश्किल है।
चमोली जनपद के नंदानगर क्षेत्र में बुधवार की देर रात करीब दो बजे बिनसर पहाड़ी की चोटी पर बादल फटने और अतिवृष्टि से फाली लगा कुंतरी, सैंती लगा कुंतरी और धुर्मा गांव में भारी तबाही हुई। सरपाणी लगा कुंतरी गांव से 5 शव बरामद हुए हैं जबकि ससुर और बहू अभी भी लापता हैं। आपदा में 42 परिवार प्रभावित हुए और 15 से ज्यादा मकान मलबे में दब गए। प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर बनाए गए हैं जहां 100 से ज्यादा लोगों को रखा गया है।
आपदा के बीच चमत्कार
सैकड़ों टन मलबे में दबे आदमी को बचने की उम्मीद कम ही होती है, लेकिन चमोली के नंदानगर में आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त और मलबे से भरे मकान में एक व्यक्ति की जद्दोजहद ने उसे जिंदा रखा। एसडीआरएफ-एनडीआरएफ ने उसकी जान बचाकर 16 घंटे के बाद उसे सकुशल रेस्क्यू किया। क्षेत्र में मातम होने के बावजूद इस व्यक्ति के जिंदा बाहर आने पर लोगों में खुशी दिखाई दी और लोगों ने तालियां बजाई तो वहीं कई लोगों में अपनों के जिंदा होने की आस भी जागी है। नंदानगर में एक व्यक्ति के 16 घंटे बाद जिंदा बाहर आने को लोग चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। मलबे में दबे मकान में वैसे तो किसी के जिंदा होने की उम्मीद न के बराबर ही होती है, लेकिन एनडीआरएफ के जवानों ने उम्मीद के साथ मकान की छत के किनारे से मलबा हटाना शुरू किया। इसी दौरान अंदर से किसी के पुकारने की आवाज आई तो राहत कार्य में जुटे जवानों में नई ऊर्जा भर गई और उन्होंने तेजी से मलबा हटाना शुरू कर दिया। इसी दौरान अंदर फंसे व्यक्ति ने पानी मांगा तो उसे पानी दिया गया। कुछ देर की मशक्कत के बाद उसे सकुशल बाहर निकाल लिया गया। वहीं एक व्यक्ति के जिंदा मिलने के बाद राहत एवं बचाव दल अन्य क्षतिग्रस्त मकानों में भी जिंदगियों की तलाश में फिर से जुट गए हैं।
ग्रामीणों के मवेशी भी बह गए
प्रभावित गांवों में बड़ी संख्या में मवेशियों के भी बहने की सूचना है। बिनसर की पहाड़ी से निकले जलजले के साथ भारी मात्रा में मलबा और पानी नीचे आया, जिसने पहाड़ी की तलहटी में बसे फाली लगा कुंतरी, सेंती लगा कुंतरी और धुर्मा गांव में तबाही मचा दी। हालांकि बिजली कड़कने के बाद कई लोग सतर्क हो गए थे और समय रहते सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे, लेकिन कुछ लोग इस जलजले की भेंट चढ़ गए।
पांच दिन बाद घर में थी शादी, बह गए परिवार के अरमान
बुधवार रात भारी बारिश और बादल फटने ने नंदानगर क्षेत्र में कोहराम मचा दिया। इस आपदा ने सिर्फ जान-माल का नुकसान ही नहीं किया बल्कि कई परिवारों के अरमान भी मलबे और पानी में बह गए। जिस घर में पांच दिन बाद शादी की शहनाई बजने वाली थी वह अब मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है। बेटी की शादी की सारी तैयारियां, जेवरात और सामान सब कुछ मोक्ष गदेरे की बाढ़ में बह गया। सेरा गांव में महिपाल सिंह गुसांई के परिवार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनकी दूसरी बेटी नीमा की शादी 23 सितंबर को होनी तय है। घर में शादी की सारी तैयारियां हो चुकी थीं। मकान का रंग-रोगन हो चुका था और शादी के लिए खाद्यान्न, कपड़े और यहां तक कि जेवरात भी घर में रखे हुए थे। इन दिनों पूरा परिवार शादी के आयोजन में जुटा हुआ था।
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