स्याही खत्म हो गई मां लिखते-लिखते
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी थी
Uttarakhand : शुक्रवार की दोपहर जब बचावकर्मी चमोली के नंदानगर क्षेत्र में आपदाग्रस्त कुंतरी लगा फाली गांव में हजारों टन मलबे में दबे कुंवर सिंह के मकान तक पहुंचे तो उनकी आंखें भीग गईं। एक मां अपने बच्चों को बचाने के लिए किस कदर कुदरत से संघर्ष की थी, वह संघर्ष लोगों की आंखों में तैरने लगा। कुंवर सिंह की पत्नी कांता देवी (38) एक भारी पत्थर के नीचे दबी थीं। एक हाथ में एक बच्चा दूसरे में दूसरे बच्चे को अपने सीने से लगाए हुए थी। उनके जुड़वा बच्चे थे विकास और विशाल। बादल फटने के बाद आए मलबे में उनका गांव दब गया। बचावकर्मियों को जो दृश्य दिखे उससे लग रहा था कि कांता देवी ने अपने बच्चों को आखिरी सांस तक बचाने का प्रयास किया। उन्होंने हजारों टन मलबे के नीचे होने के बाद भी अपने बच्चों का हाथ नहीं छोड़ा।
इस मानसून सीजन में आई तबाही ने इंसानी जिंदगियों को झकझोर कर रख दिया है। पहाड़ों की खूबसूरती के बीच बसे गांव अब खामोशी और मातम में डूबे हुए हैं। चारों तरफ तबाही का मंजर है। हर आंख नम है और हर दिल डरा हुआ। चमोली के रेस्क्यू अभियान में लगातार शव मिल रहे हैं। चमोली शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर कुंतरी लगा फाली गांव में आपदा के बाद कई लोग अब तक लापता हैं। रेस्क्यू टीमें दिन रात मलबा हटाने और लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं। ग्रामीण भी पूरी ताकत से खोजबीन में लगे हैं। इसी तलाश के बीच शुक्रवार (19 सितंबर) को उम्मीद की किरण तब जगी थी जब 16 घंटे की मशक्कत के बाद मलबे से एक व्यक्ति को जीवित निकला गया था। व्यक्ति का नाम कुंवर सिंह है। कुंवर के सकुशल रेस्क्यू के बाद रेस्क्यू टीमें उसके परिवार को खोजने में लगी थी जो मकान के अंदर मलबे में दबे थे।
इसी खोजबीन के बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसे जिसने भी देखा उसका कलेजा फट गया। ग्रामीणों ने बताया कि जब रेस्क्यू टीम कुंवर सिंह के मकान के अंदर पहुंची तो वहां का मंजर देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं, क्योंकि कांता देवी अपने दोनों बेटों (विशाल और विकास) को सीने से कसकर लगाए हुए मलबे में दबी हुई थीं। मानों आखिरी सांस तक मां ने अपने बच्चों को बचाने की कोशिश की हो, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। शुक्रवार को इस हादसे में मृत कुल 5 लोगों के शव निकाले गए। रेस्क्यू टीम और ग्रामीणों ने जब मां-बेटों के शव बाहर निकाले तो पूरा गांव सिसकियों से गूंज उठा। घर-घर मातम है और दिलों में बस यही सवाल क्यों इतनी निर्दयी हो गई यह त्रासदी? आज कुंतरी फाली गांव में सिर्फ खामोशी है।