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    Home»अतुल्य उत्तराखंड»क्या है Lateral Entry क्यों हावी है सियासत, पुरानी व्यवस्था नई बहस
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    क्या है Lateral Entry क्यों हावी है सियासत, पुरानी व्यवस्था नई बहस

    यूपीए के शासनकाल में दूसरे प्रसाशनिक सुधार आयोग ने लिटरेल एंट्री व्यवस्था की सिफारिश की। इस व्यवस्था के तहत विषय विशेषज्ञों को सीधे प्रशासनिक सेवा में लाया जाता है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, सैम पित्रोदा इसी व्यवस्था के तहत आए थे।
    teerandajBy teerandajAugust 20, 2024Updated:August 21, 2024No Comments
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    वर्ष 2005 में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने सिफारिश की कि कुछ सरकारी दायित्वों के लिए विशेषज्ञ ज्ञान की जरूरत होती है, जो पारंपरिक लोक सेवा आयोग में उपलब्ध नहीं होता। इसलिए बाहर से विशेषज्ञों की सीधी नियुक्ति यानी Lateral Entry की जाए। इस व्यवस्था में आरक्षण का विधान नहीं है। दरअसल, पिछले दिनों लोक सेवा आयोग ने एक विज्ञापन निकाला, इसमें 45 पदों के लिए नागरिको से आवेदन मांगे तब से यह विवाद उत्पन्न हुआ है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल हमलावर हैं तो वहीं भाजपा भी आक्रामक है। भाजपा का कहना है कि यह व्यवस्था यूपीए (कांग्रेस) के समय ही बनाई गई थी। इसके अलावा भाजपा ने उन लोगों के नाम भी गिनाए जिन्हें कांग्रेस की सरकार के समय लिटरेल इंट्री के तहत प्रशासनिक व्यवस्था में लाया गया था।

    यह भी पढ़ें :  राइफलमैन जसवंत सिंह रावत के रचे चक्रव्यूह को नहीं भेद पाए हजारों चीनी सैनिक

    लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जब यह मुद्दा उठाया तो भाजपा के केंद्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव मैदान में आए। उन्होंने कहा पलटवार करते हुए कहा कि 1976 में मनमोहन सिंह की वित्त सचिव पद पर नियुक्ति किस व्यवस्था के तहत हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में मनमोहन सिंह को सीधे वित्त सचिव बनाया था। जो बाद में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री भी बने। इसके अलावा आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, सैम पित्रोदा, विमल जालान समेत कई नाम गिनाए। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को 2009 से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का प्रमुख नियुक्त किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्तियां की जाएंगी। इस सुधार से प्रशासन में सुधार होगा। अब तो इस विवाद में तमाम क्षेत्रीय दल भी कूद गए हैं। भारी सियासत हो रही है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने आरोप लगाए हैं कि सरकार इन फैसलों के जरिए आरक्षण समाप्त करने की कोशिश कर रही है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी यूपीए शासन के दौरान लिटरेल एंट्री के तहत आए मोंटेक सिंह अहलूवालिया का नाम लेते हैं जिन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया।

    क्या है लेटरल एंट्री
    आइए समझते हैं ये लेटरल एंट्री है क्या? इसके तहत प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला 40 साल का कोई भी योग्य शख्स केंद्र सरकार में सीनियर आईएएस की हैसियत में काम कर सकता है। जरूरी शर्तों में यह है कि उसके पास काम करने का 15 साल का अनुभव हो। इसके लिए कैबिनेट सेक्रेटरी की अगुवाई वाली कमेटी के सामने इंटरव्यू होता है। जो इस इंटरव्यू को पास करता है, वो सीधे तौर पर जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर तैनात कर दिया जाता है। ये तैनाती तीन साल के लिए होती है। इसे 2 साल बढ़ाया भी जा सकता है।

    कहां से हुई शुरुआत
    प्रशासनिक सुधार आयोग देश में अफसरशाही को और कैसे बेहतर बनाया जाए यह बताता है। पांच जनवरी 1966 में इसका गठन किया गया था। इसके पहले अध्यक्ष थे मोरारजी देसाई। यह आयोग तमाम सिफारिशें करता रहता है। 2005 में जब कांग्रेसनीत यूपीए की सरकार थी तो पांच अगस्त 2005 में यूपीए सरकार में मंत्री रहे वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया।

    इस आयोग में कई प्रतिष्ठित लोगों को शामिल किया गया था। इसमें केरल के मुख्य सचिव रहे और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बतौर सलाहकार काम कर चुके वी. रामचंद्रन को भी सदस्य बनाया गया था। पूर्व IAS जय प्रकाश नारायण, डॉ एपी मुखर्जी, डॉक्टर ए.एच. कालरो को भी सदस्य बनाया गया। प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी और भारत सरकार की वित्त सचिव रहीं विनीता राय को इस आयोग का सदस्य सचिव बनाया गया था।

    इस आयोग को एक सक्रिय, जवाबदेह और अच्छा प्रशासन चलाने के दौरान आ रही खूबियों और खामियों की समीक्षा करने और उसका समाधान खोजने की जिम्मेदारी दी गई। योग ने 2005 में ही भारतीय अफसरशाही में भारी फेरबदल की गुंजाइश की बात कही। आयोग ने सुझाव दिया कि जॉइंट सेक्रेटरी के स्तर पर होने वाली भर्तियों को विशेषज्ञों से भरा जाए। इन विशेषज्ञों को बिना परीक्षा पास किए सिर्फ इंटरव्यू के जरिए जॉइंट सेक्रेटरी बनाया जा सकता है। इसके लिए प्रशासनिक आयोग ने तय किया था कि अधिकारी की उम्र कम से कम 40 साल होनी चाहिए और उसे काम करते हुए कम से कम 15 साल का अनुभव होना चाहिए।

    आयोग ने कहा था प्रशासनिक अफसरों को तीन साल के लिए निजी कंपनियों में भेजा जाए
    दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने एक और महत्वपूर्ण सिफारिश की थी। इसमें कहा था कि लोक सेवा आयोग ने चुनकर आने वाले अफसरों को तीन वर्ष के लिए किसी निजी कंपनी में काम करने के लिए भेजा जाना चाहिए। इससे काम-काज के तरीकों में सकारात्मक बदलाव आएगा। हालांकि, यूपीए सरकार ने इस सिफारिश को खारिज कर दिया था। जबकि, लिटरेल एंट्री के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

    और भी देशों में है लेटरेल एंट्री
    भारत के अलावा कई और भी देश हैं जहां लेटरेल एंट्री के तहत भर्ती होती है। जैसे-ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, बेल्जियम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और स्पेन जैसे देशों में भी लागू है।

    Lateral Entry लिटरेल एंट्री सियासत
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