शनिवार शाम को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि Unified Pension Scheme को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) में पेंशन की गांरटी सरकार ने दे दी है। उन्होंने बताया कि उनकी मांग पर सरकार काफी समय से विचार कर रही थी। यूपीएस के तहत कर्मचारियों को 25 साल काम करने पर पूरी पेंशन मिलेगी। सरकार के इस फैसले का असर 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों पर पड़ेगा।
अब अहम सवाल यह है कि क्या ये योजना 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को रास आएगी। ऑल इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन के महासचिव और केंद्रीय कर्मचारियों की राष्ट्रीय परिषद के सचिव शिवगोपाल मिश्र ने इसका समर्थन किया। साथ ही कहा कि सभी राज्यों को यह स्कीम लागू करनी होगी। अब देखना होगा कि अन्य कर्मचारी संगठनों का इसपर क्या रुख होगा।
यूपीएस के फॉर्मूले के तहत अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों तक सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य-वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन दी जाएगी। अगर सेवा काल 10 से 25 वर्षों का है तो पेंशन की राशि समानुपातिक आवंटन के आधार पर तय होगी। यूपीएस में सुनिश्चित पेंशन, परिवार को पेंशन, सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन, पेंशन की राशि की महंगाई दर के साथ जोड़ने और सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्युटी के अलावा भी एक सुनिश्चित राशि के भुगतान की व्यवस्था की गई है।
कर्मियों को 10 फीसदी का योगदान देना होगा
केंद्र सरकार का दावा है कि एक तरह से यह पुरानी पेंशन स्कीम की तरह ही है। अंतर सिर्फ इतना होगा कि ओल्ड पेंशन स्कीम में जहां कर्मचारियों को योगदान नहीं देना होता था, यूपीएस में नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की तर्ज पर ही 10 प्रतिशत योगदान देना होगा। यूपीएस के लिए कर्मचारियों को कोई अतिरिक्त योगदान नहीं देना होगा। केंद्र सरकार की तरफ से पेंशन फंड में योगदान मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया गया है। यह साल दर साल महंगाई दर आदि के कारण बढ़ता रहेगा। केंद्र सरकार की ओर से बताया गया है कि इससे केंद्र पर वर्ष 2025-26 के दौरान ही 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
चुनावी माहौल में मोदी सरकार का बड़ा दांव
चुनावी माहौल में इसे बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक शनिवार देर शाम को हुई, जिसमें यूनिफाइड पेंशन स्कीम के बारे में फैसला किया गया। सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि एक अप्रैल, 2025 से यह योजना लागू होगी। इससे सीधे तौर पर केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा।
फायदेमंद होगा यूपीएस ?
यूपीएस को मंजूरी देने के बाद केंद्र सरकार का मानना है कि यह योजना 99 प्रतिशत से ज्यादा केंद्रीय कर्मियों के लिए एनपीएस के मुकाबले ज्यादा मुफीद है। एनपीएस वर्ष 2004 से लागू है और तब से अभी तक जितने सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं, उनको यूपीएस के तहत पेंशन सुविधा लेने का विकल्प मिलेगा। अगर कर्मचारी ऐसा करते हैं तो उन्हें जो अतिरिक्त राशि व उसका ब्याज बनेगा, उसका भुगतान केंद्र से होगा।
राज्य सरकारें भी लागू कर सकती यूपीएस
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो इसी आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए भी पेंशन स्कीम लागू कर सकती हैं। ऐसा होता है तो राज्य सरकारों के 90 लाख कर्मचारियों को भी फायदा हो सकता है।
देश की प्रगति के लिए कठिन परिश्रम करने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों पर हमें गर्व है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) इन कर्मचारियों की गरिमा और आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने वाली है। यह कदम उनके कल्याण और सुरक्षित भविष्य के लिए हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 24, 2024
यूपीएस की पांच मुख्य बातें
पहला : कम से कम 50 फ़ीसदी निश्चित पेंशन
रिटारयमेंट के ठीक पहले के 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी होगी। इसके लिए शर्त ये है कि कर्मचारी ने 25 साल की सेवा पूरी की हो। इससे कम वक्त (10 साल से अधिक और 25 साल से कम) तक सेवा की है तो रकम भी उसी हिसाब से होगी।
दूसरा हिस्सा : निश्चित फैमिली पेंशन
किसी कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने की स्थिति में परिवार (पत्नी) को 60 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा।
तीसरा हिस्सा : न्यूनतम निश्चित पेंशन
10 साल तक की न्यूनतम सेवा की स्थिति में कर्मचारी को कम से कम 10 हज़ार रुपये प्रति माह पेंशन के रूप में दिए जाएंगे।
चौथा हिस्सा : महंगाई के हिसाब से व्यवस्था
कर्मचारी और फेमिली पेंशन को महंगाई के साथ जोड़ा जाएगा। इसका लाभ सभी तरह की पेंशन में मिलेगा यानी कर्मचारियों की पेंशन में महंगाई इंडेक्शेसन को शामिल किया जाएगा। यह महंगाई राहत ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइजेज फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स के इंडेक्स पर आधारित है। यह व्यवस्था मौजूदा समय में सेवारत कर्मचारियों के लिए है।
पांचवां हिस्सा : नौकरी छोड़ने पर ग्रैच्युटी के अलावा एकमुश्त रकम दी जाएगी
इसकी गणना कर्मचारियों के हर छह महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के दसवें हिस्से के रूप में होगी। इस रकम से कर्मचारियों की निश्चित पेंशन पर कोई असर नहीं होगा।
तीनों पेंशन स्कीम में अंतर
ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) : कर्मचारी को आखिरी मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलता था। खास बात यह थी कि इसमें कर्मचारी को कोई योगदान नहीं देना पड़ता था। डियरनेस रिलीफ (डीआर) का प्रावधान था। यानी हर छह महीने में महंगाई के अनुसार पेंशन बढ़ जाती थी। 20 वर्ष की सेवा पूरी होने पर 50 प्रतिशत पूर्ण पेंशन के हकदार होते थे।
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS): इसमें निवेश के आधार पर पेंशन मिलती थी। यह योजना सरकारी-निजी सभी कर्मचारियों के लिए है। सरकारी कर्मचारी 10 प्रतिशत योगदान, सरकार 14 प्रतिशत योगदान देती है। चूंकि, एनपीएस का बाजार में निवेश होता था, इसलिए बाजार के फायदे शामिल हैं। रिटायरमेंट के समय कुल जमा का 60 फीसदी एकमुश्त निकाला जा सकता है। शेष 40 प्रतिशत पेंशन के रूप में फिक्स होता है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS): मूल वेतन की 50% पेंशन मिलेगी। 10 वर्ष से अधिक और 25 वर्ष से कम में रिटायर हुए तो आनुपातिक रूप से लाभ मिलेगा। कर्मचारी का योगदान दस प्रतिशत और सरकार का 18.5 प्रतिशत होगा। एनपीएस की तरह बाजार से जुड़ा निवेश नहीं होगा, जबकि ओपीएस की तरह डीआर का प्रावधान रहेगा। एनपीएस वाले कर्मचारी भी शामिल हो सकेंगे।
25 साल की सेवा और 50 हजार रु. के मूल वेतन पर गणना
ओपीएस पेंशनः मूल वेतन का 50% यानी 25,000 रुपये प्लस डीए, फैमेली पेंशनः मूल वेतन का 30% यानी 15,000 रुपये प्लस डीए न्यूनतम पेंशनः 9,000 रुपये प्लस डीए
यूपीएस पेंशनः मूल वेतन का 50% यानी 25,000 रुपये प्लस डीआर, फैमेली पेंशनः मूल वेतन का 60% यानी 30,000 रु. प्लस डीआर
न्यूनतम पेंशनः 10,000 रुपये प्लस डीआर
यूपीएस बेहतर : मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पेंशन योजना का खाका तैयार करने वाली समिति के चेयरमैन रहे पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन का कहना है कि एनपीएस की तुलना में यूपीएस 99% तक बेहतर है। इसमें निश्चित पेंशन का विकल्प है।