विश्व आयुर्वेद कांग्रेस : वृक्षायुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का मिलन केवल एक संभावना नहीं है। यह एक आवश्यकता है। यह स्थायी कृषि की ओर एक मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है जो नवाचार को अपनाते हुए हमारी परंपराओं का सम्मान करता है। यह बातें पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने देहरादून में आयोजित चार दिवसीय विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो में कहीं। डॉ. चौहान ने पशु चिकित्सा आयुर्वेद चिकित्सा अनुभाग की अध्यक्षता की।
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पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वीसी ने शिक्षकों और छात्रों से आह्वान किया कि हम सब को मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाने का नेतृत्व करना चाहिए जहां कृषि फले-फूले, पारिस्थितिकी तंत्र फले-फूले और आने वाली पीढ़ियां हमारे द्वारा संरक्षित और नवाचार किए गए ज्ञान से लाभान्वित हों। पशु चिकित्सा आयुर्वेद परंपरा और नवाचार के बीच की खाई को पाटता है, पशु स्वास्थ्य और कल्याण के लिए स्थायी समाधान प्रदान करता है। अकादमिक अनुसंधान, औद्योगिक विशेषज्ञता और समृद्ध पारंपरिक ज्ञान का लाभ उठाकर, एक पशु चिकित्सा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना संभव है जो एंटीबायोटिक निर्भरता को कम करता है, उत्पादकता में सुधार करता है और प्रतिजैविक प्रतिरोध जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करता है। यह एकीकृत दृष्टिकोण न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करता है, बल्कि पशु चिकित्सा देखभाल में अधिक स्वस्थ, अधिक टिकाऊ भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
पहली बार पहुंचे 10 हजार से अधिक प्रतिनिधि हुए शामिल
12 से 15 दिसंबर तक चले विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में 600 तकनीकी सत्र हुए। इसमें 250 से अधिक एक्सपो स्टाल लगाए गए थे। आयोजन समिति के अनुसार, इसमें 10,321 प्रतिनिधि पहुंचे हैं। यह पहली बार हुआ है कि आयुर्वेद कांग्रेस में 10 हजार से अधिक प्रतिनिधि पहुंचे हैं। इससे पूर्व गोवा में हुए इसी कार्यक्रम में 5,102 प्रतिनिधि पहुंचे थे। चार दिन के कार्यक्रम डेढ़ लाख लोगों ने शिरकत की है। इसके अलावा पहली बार एनआईसीएसएम के सहयोग से पहली बार 451 प्रैक्टिशनर इस आयुर्वेद सम्मेलन में पहुंचे। इस विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में 172 तकनीकी सत्र हुए और 54 देशों से 352 विदेशी प्रतिनिधि शामिल हुए। एक्सपो में 220 कंपनियां पहुंची हैं। यहां पर चार हजार लोगों ने आयुष क्लीनिक में जांच कराई। पहली बार राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ ने देश के बाहर यूरोप आयुर्वेद अकादमी एसोसिएशन को मान्यता दी है। इससे वे आयुर्वेद में प्रैक्टिस कर सकेंगे।