मुनि की रेती (ऋषिकेश) में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि योग महोत्सव योग साधकों को एक मंच देने का काम करता है। योग हमारे राष्ट्रवाद व आत्मा के विश्वास का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र ने भी योग के महत्व को स्वीकार किया है। आज पूरे देश व दुनिया के लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऋषिकेश ऋषि-मुनियों की तपस्थली है। यह भूमि योग की जननी है और साहसिक व धार्मिक पर्यटन की अनेक संभावनाएं समेटे हुए है। इसी भूमि से महर्षि महेश योगी व स्वामी राम ने योग को विज्ञान से जोड़ा था। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए ग्लोबल वार्मिंग सबसे बड़ी चुनौती है। यदि गंगा सूख गई, तो समझो भारत की आत्मा ही सूख जाएगी। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिंदानन्द मुनि ने कहा कि कोविड के दौरान लोग योग के महत्व को समझ गये थे। जो काम दवा नहीं कर पाई, वह योग और प्राणायाम ने कर दिखाया। हम योग यौगिक लाइफ से स्वयं को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वर्गाश्रम, तपोवन व मुनि की रेती तीन जनपदों की त्रिवेणी है।
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देव संस्कृति विश्वविद्यालय के उप कुलपति डॉ. चिन्मय ने कहा कि योग भारतीय ज्ञान-विज्ञान का सर्वोच्च शिखर है, जिसको छूने से हम अपनी संभावनाओं के द्वार खोलते हैं। एम्स ऋषिकेश के कार्डियोलोजिस्ट डॉ. भानू दुग्गल ने कहा कि योग पूरी तरह से एक जीवन पद्धति का नाम है। भारत में जंक फूड के कारण हृदय रोग व किडनी के रोग तेजी से फैल रहे हैं। इस अवसर ग्रैंड मास्टर अक्षर ने कहा कि योग व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बदलने की सामर्थ्य रखता है। योगी के शरीर, मन व आत्मा में विशेष ऊर्जा होती है। उसकी सुगंध भी पुष्पों की तरह महकती रहती है।
इस मौके पर अपर सचिव पर्यटन अभिषेक रोहिला ने मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड को योग की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव गंगा जी के पवित्र तट पर आयोजित किया जा रहा है। इस अवधि में देश-विदेश से आए सुविख्यात योगाचार्यों द्वारा योग प्रतिभागियों व योग साधकों को योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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