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    Home»उत्तराखंड 360»Cyber Crime : छह माह में 92 करोड़ की ठगी, दो-दो हाथ करने को तैयार साइबर कमांडो
    उत्तराखंड 360

    Cyber Crime : छह माह में 92 करोड़ की ठगी, दो-दो हाथ करने को तैयार साइबर कमांडो

    देश में छोटे-मोटे साइबर ठग तो पुलिस के पकड़ में आ जा रहे हैं, लेकिन विदेशों में बैठे मास्टरमाइंडों तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसी चेन को तोड़ने के लिए साइबर कमांडों तैयार किए जा रहे हैं।
    teerandajBy teerandajSeptember 12, 2024Updated:September 12, 2024No Comments
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    Cyber Crime :  देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड भी साइबर ठगों के निशाने पर है। यहां हालात और भी बुरे हैं। लोगों में जागरूकता की कमी के कारण ठगी रकम की रिकवरी बेहद कम है। इस बीच अच्छी खबर यह है कि इनसे निपटने के लिए राज्य सरकार ने साइबर कमांडो का चयन कर लिया है। पहले चरण में चयनित 10 साइबर कमांडो को देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद वह साइबर ठगों से दो-दो हाथ करेंगे।

    यह भी पढ़ें : PP Controversy : फिर वही कहानी, बियर बार चलाने वाले सचिन दत्ता भी बनाए गए थे महामंडलेश्वर

    वर्ष 2023 में साइबर ठगी की रकम कुल 117 करोड़ रुपये थी। इस माह तो छह माह में यह रकम 92 करोड़ पहुंच गई है। ठगी की यह धनराशि क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से दुबई, कंबोडिया, पाकिस्तान व वियतनाम भेज रहे हैं, जिसे वापस लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। गिरोह भोले-भाले लोगों से आइडी लेकर उनके नाम से खाते खोलते हैं। जब इन खातों में ठगी की रकम आ जाती है तो इसके बाद वह विदेश भेजी जाती है। साइबर क्राइम थाना देहरादून व हल्द्वानी में वर्ष 2024 में छह माह में अब तक 70 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, जिसमें ठगों ने 30 करोड़ रुपये की ठगी की है। इनमें से केवल चार केस ऐसे हैं, जो 10 लाख से लेकर दो करोड़ रुपये तक की साइबर ठगी के हैं।

    साइबर पोर्टल पर बढ़ीं शिकायतें
    राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर वर्ष 2023 में साइबर ठगी की 17000 शिकायतें आई थी, इनमें 69 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई। वहीं वर्ष 2024 में छह माह में 11 हजार साइबर ठगी की शिकायतें आ चुकी हैं, जिनमें से 62 करोड़ रुपये की ठगी हुई है।

    रिकवरी रेट महज 10 फीसदी
    साइबर ठगी होने पर तत्काल यदि हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दी तो तब भी 10 प्रतिशत धनराशि ही साइबर थाना पुलिस वापस ला पाती है। वर्ष 2023 में एक साल में केंद्र सरकार के ओर से जारी राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) 1930 पर 17000 साइबर ठगी की शिकायतें आई जिसमें ठगों ने 69 करोड़ रुपये की ठगी की। इसमें से केवल सात करोड़ रुपये ही बचाए जा सके। इसी तरह वर्ष 2024 में जनवरी से जून तक 11000 साइबर ठगी की शिकायतें सामने आई हैं। इनमें साइबर ठगों ने 62 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की है। इसमें से केवल 12.5 करोड़ रुपये ही बचाई जा सकी।

    इस तरह से हो रही साइबर ठगी
    – पार्सल के नाम पर
    – परिचित बनकर
    – डिजीटल अरेस्ट
    – बैंकिंग व वित्तीय ठगी
    – निवेश के नाम पर ठगी
    – फर्जी मुकदमे में फंसाने का डर
    – आवाज बदलकर ठगी
    – कुरियर में ड्रग्स होने की बात कहकर

    ऐसे बचें
    केवाइसी अपडेट के लिए किसी भी अनुरोध को प्राप्त करने पर अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से सत्यापन या सहायता के लिए संपर्क करें। यदि ठगों को बैंक खाते संबंधित कोई भी जानकारी न देने और ओटीपी साझा न करने के बाद भी आपके खाते से रुपये निकल जाते है तो अपने बैंक की शाखा से संपर्क करें 24 घंटे के अंदर इसकी शिकायत करने पर आपके रुपये खाते में रुपये वापस आ जाएंगे। निवेश के नाम यदि कोई फोन करता है तो इसकी सत्यता अच्छी तरह से जांच लें। यह पता कर लें कि आपकी धनराशि जिस कंपनी में निवेश के लिए लगाई जा रही है वह सेबी में रजिस्टर्ड है या नहीं।
    यदि कोई परिचित बनकर फोन करता है तो जिस फोन नंबर से आपको काल आई है उसे अच्छी से सत्यापित कर ले। काल करने वाले नंबर और खाते में रुपये जमा करने वाला मैसेज एक ही नंबर से आए तो सावधान हो जाएं। भूलकर भी कभी भी अनजान लिंक को क्लिक न करें। इसे नजरअंदाज कर दें ताकि ठगी न होने पाए। पार्सल के नाम पर यदि कोई फोन करता है तो यह समझ लें कि यदि आपने कोई पार्सल नहीं तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। 92 अंक से शुरू होने वाले नंबर से आई काल को न उठाएं। यदि फोन उठा लिया और व्यक्ति डराता या धमकाता है तो नजदीकी पुलिस थाने में इसकी शिकायत करें। इन दिनों साइबर ठग वाट्सएप पर फोन कर परिचित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की धमकी देते हैं। यदि इस तरह से कोई फोन आता है तो संबंधित से पहले बात कर लें। यदि किसी कारण उसका नंबर नहीं लग रहा है तो उसके दोस्तों से बात करें या जिस संस्थान में वह नौकरी करता है वहां पता करें।

    केंद्र सरकार की योजना है साइबर कमांडो
    देश में बढ़ती साइबर धोखाधड़ी को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से साइबर कमांडो बनाने की योजना बनाई गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी साफ किया है कि साइबर सुरक्षा सिर्फ डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का अभी अहम पहलू है। साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में पूर्व से ही साइबर कमांडो बनाने की योजना चल रही थी। यह योजना अब धरातल पर उतरी है। जल्द ही इन चयनित पुलिसकर्मियों को साइबर कमांडों के प्रशिक्षण के लिए रवाना किया जाएगा।

    • इन संस्थानों में साइबर कमांडो का होगा प्रशिक्षण
    • राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय गांधीनगर गुजरात
    • राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय गांधीनगर गुजरात
    • राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय दिल्ली
    • आइआइटी कानपुर
    • आइआइटी चेन्नई
    • आइआइटी कोटाय्यम, केरला
    • आइआइटी नया रायपुर, छत्तीसगढ़
    • डिफेंस इंस्टीट्यूट आफ एडवांस टेक्नालाजी पुणे
    • नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी गोवा

    इन पुलिसकर्मियों का हुआ है चयन
    सब इंस्पेक्टर आशीष गुसांई
    सब इंस्पेक्टर राजीव सेमवाल
    सब इंस्पेक्टर राहुल कापड़ी
    सब इंस्पेक्टर राजेश ध्यानी
    महिला सब इंस्पेक्टर वंदना
    सहायक सब इंस्पेक्टर विनोद बिष्ट
    हेड कांस्टेबल पवन
    कांस्टेबल सुभाष खत्री
    कांस्टेबल उस्मान
    कांस्टेबल अरविंद बिष्ट

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