NCRB REPORT-2023 में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस की कड़ी निगरानी, जागरूकता अभियान और लगातार जांच चौकियों के बावजूद, आधिकारिक आंकड़े बच्चों के लापता होने की दर को चौंका देने वाली और बेहद चिंताजनक बताते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में 2023 में 1025 मासूम लापता हो चुके हैं। इसमें 729 लड़कियां हैं 296 लड़के हैं। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से केवल 933 बच्चे ही मिल सके। जिसमें 279 लड़के 654 लड़कियां शामिल हैं। मिलने वालों बच्चों में पिछल वर्षों में गायब बच्चों की संख्या भी शामिल है। पिछले कुछ वर्षों में गायब 276 बच्चों का अब तक पता नहीं लग सका है। वहीं, देश की बात करें तो 91296 बच्चे लापता हुए। जबकि, रिकवर होने वाले बच्चों की संख्या 89,809 है। बाकी बच्चों का अब भी पता नहीं चला है।
184 उत्तराखंड जैसे छोटे व शांत राज्य के लिए यह आंकड़े बेहद गंभीर हैं। अगर सभी आयुवर्ग में गुमशुदगी की बात की जाए तो यह आंकड़ा और भी भयावह हो जाता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में वर्ष 2023 में कुल 4095 लोग लापता हुए हैं। इसमें 1711 पुरुष और 2384 महिलाएं हैं। 3831 लोगों को पुलिस ने खोज निकाला। इसमें विगत वर्षों में लापता लोग भी शामिल हैं। 2437 लोग अब भी लापता हैं। इनमें 1566 पुरुष और 871 महिलाएं हैं। लापता लोगों में कुछ 2023 से पहले लापता हुए हैं। देश की बात करें तो 2023 में कुल 4,84,584 लोग गुमशुदा हुए। इनमें से 460886 लोगों को खोजा गया। पिछले वर्षों में गायब हुए लोगों में 383975 को अब तक नहीं खोजा जा सका है। दरअसल, उत्तराखंड को देश के शांत राज्यों में गिना जाता है। अपराध की दर यहां देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा हमेशा कम रही है। ऐसे में हजार से ज्यादा बच्चों का लापता होना माथे पर चिंता की लकीर खींच देता है। प्रदेश की पुलिस हर साल लापता बच्चों को खोजने के लिए ऑपरेशन स्माइल चलाती है।
छह गुना बढ़े बाल-विवाह के मामले, शादी के लिए अगवा की गईं 17,000 लड़कियां बाल विवाह के दर्ज मामलों की संख्या 2023 में पिछले वर्ष की तुलना में छह गुना बढ़ी है। इसमें अकेले असम में कुल मामलों का लगभग 90 प्रतिशत दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक, साल 2023 में 16,737 लड़कियों और 129 लड़कों को जबरन शादी के लिए अगवा किया गया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2023 में इस अधिनियम के तहत 6,038 मामले दर्ज किए गए, जो कि 2022 में 1,002 मामलों और 2021 में 1,050 मामलों की तुलना में काफी अधिक हैं। इनमें असम ने 5,267 मामले दर्ज किए, इसके चलते यह राज्य सबसे अधिक मामलों वाला राज्य बना। इस सूची में अन्य अधिक संख्या वाले राज्यों में तमिलनाडु (174), कर्नाटक (145) और पश्चिम बंगाल (118) शामिल हैं। कई राज्य और केंद्रीय राज्य जैसे छत्तीसगढ़, नगालैंड, लद्दाख और लक्षद्वीप में इस दौरान कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
बच्चों के खिलाफ अपराध
2023 में बच्चों के खिलाफ अपराधों की दर 39.9 प्रति एक लाख बाल जनसंख्या रही। जो 2022 में 36.6 प्रति लाख थी। इन मामलों में अपहरण (79,884) और पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध (67,694) सबसे प्रमुख रहे। अधिकतर अपराधी पीड़ित के जानपहचान के लोग थे। कुल 40,434 मामलों में 39,076 मामलों में आरोपी जानकार थे। 3,224 में परिवार के सदस्य, 15,146 में परिवार के जानने वाले और 20,706 में दोस्त आदि थे। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बच्चों पर अपराध के 1.77 लाख केस दर्ज हुए, जो 2022 में 1.62 लाख थे। यानी एक साल में 9.2% की बढ़ोतरी हुई, जो महिलाओं और बुजुर्गों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। मध्य प्रदेश मे 22,393 केस सामने आए हैं। बच्चों के खिलाफ हर दिन औसतन 486 और हर तीन मिनट में एक अपराध दर्ज हुआ। उत्तराखंड में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1710 मामले रिपोर्ट किए गए।
दहेज से जुड़े अपराध 14% बढ़े
दहेज से जुड़े अपराधों में 2023 में 14% की बढ़ोतरी हुई है। 2023 में 15,489 दहेज से जुड़े मामले दर्ज हुए और 6,100 से ज्यादा महिलाओं की मौत हुई। 2022 में 13,479 और 2021 में 13,568 मामले दर्ज हुए थे। दहेज के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर रहा, जहां 7,151 मामले दर्ज हुए। इसके बाद बिहार 3,665 और कर्नाटक 2,322 का स्थान रहा। वहीं, 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2023 में एक भी दहेज का केस दर्ज नहीं हुआ। वहीं, 6,156 महिलाओं की मौत दहेज विवाद में हुई। अकेले उत्तर प्रदेश में 2,122 और बिहार में 1,143 मौतें दर्ज की गईं। दहेज निषेध कानून के तहत 2023 में 83,327 मामले ट्रायल के लिए कोर्ट में पेंडिंग रहे, जिनमें से 69,434 पुराने मामले थे। इस कानून के तहत पुलिस ने 27,154 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 22,316 पुरुष और 4,838 महिलाएं शामिल थीं।
दुष्कर्म के 29,670 मामले दर्ज किए गए
2023 में देश में दुष्कर्म के कुल 29,670 मामले दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा 5,078 मामले राजस्थान और 3,516 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। दिल्ली में 1,094 मामले सामने आए। उत्तराखंड में 421 मामले दर्ज किए गए। वहीं, 2022 में कुल 31,516 मामले दर्ज हुए थे।
महिलाओं के विरुद्ध अपराध
2023 के दौरान महिलाओं के विरुद्ध अपराध के कुल 51,393 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 (48,755 मामले) की तुलना में 5.4% ज्यादा हैं। महिलाओं के विरुद्ध अपराध के अंतर्गत अधिकांश मामले पति या उसके रिश्तेदार शामिल रहे। ऐसे मामलों की संख्या 15,813 है। 10,532 मामले महिलाओं के अपहरण के हैं। उत्तराखंड में 3808 मामले दर्ज किए गए हैं।
नकली नोट के सबसे ज्यादा मामले दिल्ली में
NCRB रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में देश में कुल 3 लाख 51 हजार 656 नकली नोट जब्त किए गए। इनकी कुल कीमत 16.86 करोड़ रुपये थी। दिल्ली में सबसे अधिक नकली मुद्रा के मामले भी दर्ज किए गए हैं, विशेष रूप से 2000 रुपये के नोटों के। राजस्थान और असम 500 रुपये के नकली नोटों की जब्ती में आगे रहे हैं। राजस्थान ने 500 रुपये के 38,087 नकली नोट जब्त किए, जिनकी कीमत 1.9 करोड़ रुपये थी। असम ने 37,240 नोट जब्त किए, जिनकी कीमत 1.86 करोड़ रुपये थी। वहीं, उत्तर प्रदेश 200, 100, 50 और 20 रुपये के नोटों सहित कम मूल्य के नकली नोटों की जब्ती में टॉप राज्य के रूप में उभरा है। प्रदेश ने 13.11 लाख रुपये मूल्य के के 200 रुपये के 6,558 नकली नोट जब्त किए। इसके बाद कर्नाटक में 4,903 नोट और राजस्थान में 3,593 नोट जब्त किए गए। उत्तर प्रदेश में 6.03 लाख रुपये मूल्य के 12,068 नकली नोट जब्त किए गए, जो दिल्ली (3,027 नोट) और महाराष्ट्र (1,457 नोट) में जब्त किए गए नोटों की संख्या से चार गुना से भी ज्यादा है।