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    Home»बातों-बातों में»जड़ से जो गाने जुड़े रहेंगे, सुने जरूर जाएंगे : साहब सिंह रमोला
    बातों-बातों में

    जड़ से जो गाने जुड़े रहेंगे, सुने जरूर जाएंगे : साहब सिंह रमोला

    घस्यारी, बौ-धना, सौंली जनि, गैल्याणी, रुकमा, हैसदी मुखड़ी, रसीली भौंण और गिंजाली-उरख्याली जैसे कई सुपरहिट गीतों को अपनी आवाज से सजाया है साहब सिंह रमोला ने...। घरवाले चाहते थे कि वह इंजीनियर बनें, अपने पैरों पर खड़े हो जाएं फिर अपने शौक पूरे करें, लेकिन साहब को हमेशा से गायक ही बनना था और उन्होंने अपना सपना बहुत छोटी सी उम्र में साकार कर लिया।
    Arjun Singh RawatBy Arjun Singh RawatDecember 16, 2024Updated:December 16, 2024No Comments
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    साल 2004 की बात है, मशहूर म्यूजिक कंपनी टी-सीरीज के लिए एक लड़का अपना एलबम रिकॉर्ड करता है। इससे पहले भी उसके कुछ ऑडियो एलबम रिकॉर्ड हो चुके थे। इससे समझा जा सकता है कि कितनी कम उम्र से गीत गाना शुरू कर दिया होगा। एलबम रिलीज होते ही जबरदस्त हिट हुआ और उत्तराखंडी संगीत जगत को एक नया स्टार मिल गया। इस बात को 20 साल हो गए है, उम्र आज भी ज्यादा नहीं है, लेकिन अनुभव दो दशक का हो गया है। स्टारडम जस का तस है। लगातार हिट गीत आते जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं साहब सिंह रमोला की। टिहरी क्षेत्र से आने वाले इस कामयाब गायक के चाहने वालों की तादात बहुत है। उन्हें बड़े स्केल पर सुना जाता है। उनकी पत्नी आकांक्षा रमोला भी प्रसिद्ध गायिका हैं। अब तो उनकी बेटी सरगम भी गाने लगी हैं। ‘तीरंदाज लाइव-अतुल्य उत्तराखंड’ के शो ‘बातो-बातों में’ अर्जुन रावत से इस म्यूजिकल फैमिली की बातचीत के कुछ अंश…।  

    आपकी संगीत यात्रा कैसे शुरु हुई और सीधे टी-सीरीज से कैसे जुड़ गए?
    टी-सीरीज से पहले मेरा ऑडियो कैसेट्स ‘रूपवति’ था। मेरे मामा हरिभजन पंवार की मदद से यह गाना रिकॉर्ड हुआ। वह मेरे प्रेरणास्रोत भी हैं। वह बहुत अच्छा गाते हैं। किसी स्टूडियों में विक्रम रावत जी के लड़के प्रीतम जी ने मेरी आवाज सुनी तो उन्हें बहुत पसंद आई। उनके माध्यम से ही मुझे टी-सीरीज के वीडियो एल्बम ‘हैसदी मुखड़ि’ में गाने का मौका मिला। उस एल्बम के सभी आठ गाने बहुत चर्चित हुए। उसका ‘सौला गौं की बांद रुकमा’ बड़ा हिट था।

    घर वाले चाहते थे इंजीनियर बनें, कैसे गायक बन गए?
    जैसे सबके घर वाले चाहते हैं, मेरे घर वाले भी चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं। लेकिन, मेरे मामा जी ने घरवालों को बहुत समझाया। पापा को लगता था इस फील्ड में इतना नहीं है जिससे जीवन ठीकठाक चल जाए। इसलिए पापा चाहते थे कि मैं इंजीनियर बन जाऊं। उस समय बीटेक-बीएड का बड़ा क्रेज था। घरवाले चाहते थे मैं अपना फ्यूचर सिक्योर कर लूं। इसके बाद अपना शौक पूरा करूं। मामा जी ने पापा से कहा, तब तक समय निकल जाएगा। आप एक बार रिकॉर्डिंग कराओ अगर सफल नहीं हुआ तो जो आप कह रहे हो, वह कर लेगा। ईश्वर की कृपा रही कि मेरा पहला कैसेट्स बहुत हिट हो गया।

    आपने अपने मामा हरिभजन पंवार के साथ भी गाने रिकॉर्ड किए है?
    जी हां, ये हमारा होम प्रोडक्शन है। आकांक्षा हमारी रिश्तेदार भी थी। मैंने सुन रखा था कि यह अच्छा गाती हैं। इनकी बहन से मैंने कहा था कभी हमारे घर आइए। एक बार यह आईं, मैंने इनको सुना। आवाज अच्छी थी। फिर रिकॉर्डिंग करवाई। इसके बाद ऐसी जुगलबंदी हुई कि रील से रीयल तक साथ हो गया।
    आकांक्षा आपको कब लगा कि म्यूजिक में करिअर बनाना चाहिए?


    गाने का शौक मुझे बचपन से ही था। स्कूल की कल्चरल एक्टिविटी में बराबर हिस्सा लेती थी। इंट्रेस्ट तो था लेकिन नॉलेज नहीं थी। नहीं पता था कि इस फील्ड में एंट्री कैसे लूं। फिर रमोला जी से मुलाकात हुई, शादी हुई और गाड़ी चल निकली।

    आजकल तड़क-भड़क वाले गाने पसंद किए जा रहे हैं, गाने को फील नहीं किया जा रहा है…क्या कहेंगे?
    मैं भी यही चाहता हूं कि लोग गाने के बोल को समझें। नाचने तक न सीमित रहें। लोग साहित्यिक बातें तो खूब करते हैं। लेकिन, डीजे पर नाचने के सिवा कुछ नहीं सोचते। गाना किसने बनाया। इसके बोल क्या हैं, इससे क्या शिक्षा मिलती है। गायक समाज को क्या सीख देना चाहता है। इस बारे में नहीं सोचते हैं। आप घस्यारी गीत के शब्दों को फील कीजिए। शब्दों की गहराई को समझिए। यह गाना बड़ा खूबसूरत है। इस गाने का संदेश भी व्यापक है। इसे दो बार रिकॉर्ड किया गया था। पहली बार म्यूजिक मुझे पसंद नहीं आया। कई बार रिक्रीयेट होता रहा। फिर जाके गाना तैयार हुआ। इस गाने में बड़ी मेहनत की गई। इसे सुनकर आज भी संतुष्टि मिलती है।

    आप कलाकारों की गैदरिंग में नहीं दिखाई देते, ऋषिकेश में रहते हैं इसलिए या कोई और वजह है?
    मुझे चकाचौंध पसंद नहीं है। मेरा सोचना है कि जो मुझे प्यार करे, दिल से करे। दिखावा मुझे पसंद नहीं है। जब ऐसी जगहों पर जाओ तो वहां बातें बहुत बड़ी-बड़ी होती हैं। लेकिन, उसकी हकीकत में जाओ तो पता चलता है कि कुछ नहीं है। ये मुझे पसंद नहीं है। मुझे बड़ी-बड़ी बातें पसंद नहीं है। ऐसी जगहों पर तमाम बातें होती हैं। कलाकार कहते हैं, अपनी संस्कति बचाओ। लोकगीत बचाओ। मैं कहता हूं, जब लोग ही नहीं बचेंगे तो गीत कहां बचेगा। गांव खाली होते जा रहे हैं। जब पेट भरा हो तो सुर भी अच्छे निकलते हैं। सही बात यही है। इसलिए इस इंडस्ट्री में कम लोग ही बचे हैं। बड़ी संख्या में कलाकार आते हैं, कुछ समय बाद गुम हो जाते हैं।
    कोई ऐसा गाना जिसे आपने दिल से बनाया हो और जो चला नहीं?
    गाने तो मैंने काफी गाए। मेरा यह सौभाग्य रहा कि लगभग सभी गाने हिट हुए। लोगों ने काफी प्यार दिया। मेरा स्वभाव यह कभी नहीं रहा कि एक गाना चला नहीं तो दूसरा-तीसरा डाल दो। कुल कितने गाने गाए हैं यह तो याद भी नहीं है मुझे। लेकिन हाल ही में ‘गिंज्याली-उरख्याली’ गाने के साथ ऐसा हुआ। इसे आप डिजास्टर (हंसते हुए) बोल सकते हैं। हमें इस गाने से काफी उम्मीद थी। लेकिन, इसका न चलना हम लोगों के लिए आपदा जैसे था। बड़ी उम्मीद पाल रखी थी इस गाने से। अक्सर होता है, हम जिस चीज से ज्यादा उम्मीद करते हैं, वह नहीं चलता। यह गाना बहुत अच्छा बना है। हल्का गाना नहीं है। लेकिन, चला नहीं। इस गाने का बजट भी बहुत था। हो सकता है कुछ कमी रह गई हो।

    टिहरी में आपको खूब सुना जाता है…क्या गायकों को लोग क्षेत्र के हिसाब से सुनते हैं?
    सही बात है, नरेंद्र सिंह नेगी जी को पूरे उत्तराखंड में सुना जाता है। लेकिन, कलाकारों का भी एक विशेष क्षेत्र होता है। जहां उन्हें ज्यादा पसंद किया जाता है। इसका कारण शायद ये है कि लोग उनसे ज्यादा कनेक्ट महसूस करते हैं। हालांकि अभी मैं यूके गया था। वहां एक धामी जी मिले, जो कुमाऊं के थे, उन्हें मेरे गाने बहुत पसंद थे। मुझे बड़ा अच्छा लगा। इससे पहले मैं न्यूजीलैंड भी गया था। वहां भी यही चीज देखने को मिली। रुद्रप्रयाग की जनता भी बड़ा प्यार देती है।

    आपका एक गीत है भारत भूमि… उस गाने की शुरुआत बहुत अच्छी है, कुछ इसके बारे में बताइये?
    मैं उम्मीद करता हूं लोग इस गीत को सुनें। यह हमारे देश के वीर जवानों की गाथा है। जब वीर जवान बॉर्डर पर खड़ा होता है, तभी हम चैन की सांस ले पाते हैं। चाहे ठंड हो या गर्मी हो। फौजी हमारे लिए हमेशा सीमा पर खड़ा रहता है। इस गाने के जो बोल हैं वह एक पत्नी-पति के बीच का संवाद है। यह गाना तब लिखा था जब चीन की फौज से गलवान घाटी में हमारे जवानों से झड़प हुई थी। हमारे कई जवान शहीद हुए थे। गाने की थीम है, पति सीमा से घर आता है। तभी सीमा पर घटना होती है। पति कहता है, मुझे सीमा पर फिर जाना है। चीन को सबक सीखना है। इस गीत में वह सरहद पर जाने के कारणों को गिनाता है।

    यह भी पढ़ें :  एंटीबायोटिक्स को बेअसर करने वाले Superbug को मात देने के लिए भारत में विकसित हुई दवा

    सरगम को आपने बहुत कम उम्र में इस फील्ड में उतार दिया?
    इसे गाने का शौक बचपन से था। डांसिंग का भी शौक है। डेढ़ साल तक इसने कथक भी सीखा। इसको वेस्टर्न म्यूजिक ज्यादा पसंद है। हम लोग इस बारे में इसको टोकते भी हैं। हमारा कहना है पहले अपनी भाषा सीखो। उसमें गाओ। कहते हैं- थोड़ा गढ़वाली-कुमाऊंनी भी सुन लो। इसको एक्टिंग का शौक था। लेकिन इसकी आवाज अच्छी है। मैंने सोचा क्यों न इससे एक गाना गवाया जाए। हम इसे स्टूडियो में ले गए, बढ़िया वीडियो बना। इसको सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया गया। इसमें छोटे-छोटे बच्चे थे। सारे इसके क्लासमेट थे। फिर अब हमने दूसरा गाना निकाला।
    सरगम… पहले या दूसरे, किस एलबम में आपको मजा आया?


    पहले एलबम के समय मैं काफी छोटी थी। ज्यादा कुछ याद नहीं। दूसरे एलबम में मुझे ज्यादा मजा आया। इसमें मेरे सब दोस्त थे।
    आपको वेस्टर्न पसंद है, किसको सुनना पसंद करती हैं?
    वैसे तो कोई स्पेसिफिक सिंगर नहीं है। हर सिंगर का अलग-अलग गाना पसंद है। पॉप सुनती हूं। मुझे ब्लैक पिंक के गाने बहुत अच्छे लगते हैं। उनके गाने एनर्जी प्रोड्यूस करते हैं। डांस भी करती हूं, उन्हीं के गाने पर। ओलिविया रोड्रिगो को काफी पसंद करती हूं।

    बातों बातों में साहाब सिंह रमोला
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    Arjun Singh Rawat
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    पत्रकारिता का लंबा करियर। एजेंसी,टीवी, अखबार, मैग्जीन, रेडियो और डिजिटल मीडिया का अनुभव। राष्ट्रीय मीडिया में 15 साल काम करने के बाद पहाड़ों का रुख। पहाड़ के मुद्दों पर खुलकर बोलने का दम। जमीन पर काम करने का जज़्बा और जुनून आज भी वैसा ही, जैसा पहले दिन था।

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