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    Home»स्पेशल»पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय…. अंकुरित हो रहा दूसरी हरित क्रांति का बीज
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    पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय…. अंकुरित हो रहा दूसरी हरित क्रांति का बीज

    60 साल पहले देश में हुई हरित क्रांति का बीज जिस पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से बोया गया था, दूसरी हरित क्रांति का बीज भी वहीं से अंकुरित हो रहा है। इसकी बानगी 117वें कृषि मेले में दिखी। मेले में 30 लाख रुपये के बीज, पौधे और कृषि साहित्यों की बिक्री की गई। कुल 25 हजार से ज्यादा किसान शामिल हुए। 16 देशों के वैज्ञानिकों ने यहां के वैज्ञानिकों और किसानों के नवाचार को देखा। इसके अलावा एक लाख से अधिक की साहीवाल बछिया बिकी वहीं, भैंस की कटिया की नीलामी 1.26 लाख रुपये में हुई। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
    teerandajBy teerandajApril 1, 2025Updated:April 1, 2025No Comments
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    किसान मेले का अवलोकन करते उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी व कुलपति मनमोहन सिंह चौहान।
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    भारत में कृषि क्षेत्र में नवाचार के साथ दूसरी हरित क्रांति के लिए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय जुटे विशेषज्ञों के मंथन से निकला अमृत विकसित भारत की जमीन सींचने में सहायक साबित होगा। पंतनगर में आयोजित 117वें कृषि मेले से यह विजन सामने आया है। सात से दस मार्च तक चले इस मेले में सैकड़ों गोष्ठियों के माध्यम से किसानों को नवाचार के बारे में बताया गया। साथ ही उन्हें अपनी उपज को बाजार में बेचने के तरीके भी समझाए गए। कई प्रगतिशील किसानों की सफल कहानियों से नए किसानों को प्रेरित करने का प्रयास किया गया।
    नवाचार के विख्यात विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान की सोच है कि किसानों को भी डिजिटल इंडिया का लाभ मिले। यानी, इस क्षेत्र में जो शोध हो रहे हैं, नवाचार, सरकार की योजनाओं के बारे में तुरंत जानकारी किसानों तक पहुंचे। उनका मानना है कि इस मंथन के परिणाम कुछ वर्षों में दिखने लगेगा। वह कहते हैं, कृषि में भी उत्तराखंड देश के लिए नजीर बनेगा।

    हाल में आयोजित किसान मेले का अवलोकन करते कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान।

    इस कृषि मेले का उद्घाटन महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने किया। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों को ‘लैब टू लैंड’ का मंत्र दिया। यानी, लैब में हुए प्रयोग किसानों के खेत तक जल्द पहुंचे। इसमें वह शामिल भी हो। कोश्यारी कृषि अनुसंधान में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका को लेकर उत्साहित नजर आए। किसानों की आय में वृद्धि हो इसके लिए उन्होंने तकनीकी शोध करने का जोर दिया। कहा,किसान मेले में किसानों एवं वैज्ञानिकों का समावेश होता है, जहां किसान विभिन्न नवीन तकनीक की जानकारी लेते हैं। किसान मेला कृषि और ऋषि का संगम है। पूर्व सीएम ने केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं की जानकारी भी दी। कहा, आने वाले समय में उत्तराखंड मोटे अनाज के उत्पादन में अग्रणी होगा। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि अगली श्वेत क्रांति इस विश्वविद्यालय से ही शुरू हो। इसके लिए जी जान लगा दीजिए।

    कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक लैब में बैठकर शोध तो कर ही रहे हैं, साथ ही किसानों के खेतों तक भी पहुंच रहे हैं। उनकी समस्या का समाधान वहीं कर रहे हैं। इसका परिणाम सकारात्मक दिख रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले साल कृषि विज्ञान केंद्रों ने विभिन्न विषयों पर 355 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए थे। प्रसार शिक्षा निदेशालय वर्ष में दो बार किसान मेला के माध्यम से किसानों को नवाचार, तकनीक और नवीन प्रजातियां की जानकारी दे रहा है। हालांकि, उन्होंने देश में बढ़ती कुपोषण की समस्या पर चिंता भी व्यक्त की। कुलपति ने कहा कि प्रदेश के सभी किसान डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ें इसके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए है, जिससे उन्हें कृषि संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी, नई तकनीक, बाजार से जुड़ी खबरें और सरकारी योजनाओं की जानकारी सीधे मोबाइल पर मिल सकें। उन्होंने बताया कि मेले में आयोजित किसान गोष्ठी में हर दिन एक हजार से ज्यादा किसान शामिल हुए। गोष्ठियों में विशेषज्ञों ने उन्नत कृषि तकनीक, जैविक खेती, समेकित कृषि प्रणाली, जल संरक्षण तकनीक और स्मार्ट खेती के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी गई। ओवलऑल 25 हजार से अधिक किसान मेले में आए।

    विश्वविद्यालय में कृषि विज्ञान सम्मेलन के समापन पर सांसद अजय भट्ट ने कहा कि पौष्टिक खाद्यान्न उत्पादन का महत्वपूर्ण अंग वैज्ञानिक और किसान है। कृषि विज्ञान सम्मेलन में उन्नत तकनीकों और नवाचारों का समागम एक नई सोच का निर्माण करेगा। यह किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजेगा। उन्होंने संयोजक एवं कुलपति की सराहना करते हुए कहा कि हरित क्रांति की जन्म स्थली पर इतना विशाल सम्मेलन करना बड़ी चुनौती है, जिससे देश ही नहीं विदेशों के वैज्ञानिकों ने भारी संख्या में प्रतिभाग किया है। उन्होंने सम्मेलन के दौरान 65 विद्यार्थियों का विभिन्न निजी संस्थानों में चयन पर प्रसन्नता व्यक्त की। ऊधम सिंह नगर के जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कहा, जब तक किसानों की आय नहीं बढ़ेगी, तब तक समग्र विकास संभव नहीं है। सतत कृषि पद्धतियों (सस्टेनेबल एग्रीकल्चर प्रैक्टिस), ब्लॉकचेन तकनीक, फार्म-टू-फूड एग्रीकल्चर चेन और किसानों की आय दोगुनी करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। किसानों को नवाचारों और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। टेक्नोलॉजी के समावेश से कृषि उत्पादन क्षमता और लाभ दोनों में वृद्धि हो सकती है। डीएम ने देवल गांव का विशेष रूप से उल्लेख किया गया, जो जैविक खेती को अपनाकर पूरी तरह से ऑर्गेनिक गांव बनने की दिशा में अग्रसर है।

    विकसित भारत बनाने में सहायक होगा मंथन
    राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. पीके जोशी ने कहा, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। प्रतिभागियों की संख्या लगभग तीन हजार होना, अधिकतम तकनीकी सत्रों का आयोजन, संगोष्ठी पैनल डिस्कशन और अधिक संख्या में विद्यार्थियों का शामिल होना सम्मेलन को सफल बनाता है। हम आशा व्यक्त करते हैं कि इस सम्मेलन में किए गए विचार-विमर्श भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।

    जरा यहां भी ध्यान दें…

    • अल्मोड़ा की एक महिला किसान ने मंडुआ और मशरूम से तैयार मोमो बेचकर दो से तीन लाख रुपये की आय अर्जित करने का उदाहरण पेश किया।
    • हेलो मंडी स्टार्टअप ने किसानों को बाजार में अपनी उपज की मार्केटिंग और विपणन की जानकारी दी।
    • समर राइस के स्थान पर वैकल्पिक फसलों को अपनाने के लिए विशेष किसान गोष्ठी का आयोजन।
    • हरियाणा के एक किसान द्वारा उगाई गई बड़े आकार की लौकी आकर्षण का केंद्र रही।
    प्रदर्शनी का आकर्षण
    • कृषि महाविद्यालय के छात्रों ने सहकारी खेती से सतत कृषि विकास में नवाचारों के विभिन्न प्रकार के मॉडल प्रस्तुत किए।
    • प्रौद्योगिकी महाविद्यालय ने सौर ऊर्जा से चलने वाले किसानों के लिए उपयोगी संयंत्र तथा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से फसलों की खेती का प्रदर्शन किया।
    • पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय ने उत्तराखंड की पहली कुक्कुट नस्ल उत्तरा फाउल, कड़कनाथ, आरआईआर एवं ऑस्ट्रोलॉर्प और जापानी बटेर के साथ पशुओं में लगने वाली विभिन्न बीमारियों आदि का प्रदर्शन किया।
    • मत्स्य महाविद्यालय ने परिशुद्ध मछली उत्पादन, शीत जल मत्स्य उत्पादन पर विभिन्न प्रकार के मॉडल प्रस्तुत किए।
    • सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रकार के पत्थरों पर चित्रकारी, एप्लिक के माध्यम से घरेलू साज-सज्जा के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पाद के नमूने प्रदर्शित किए।
    • विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के छात्रों ने कृषि नवाचार में विज्ञान के महत्व एवं योगदान पर विभिन्न प्रकार के मॉडल प्रदर्शित किए।
    • विश्वविद्यालय पुस्तकालय के प्रभारी एवं उनकी टीम ने विश्वविद्यालय की पुरातन गतिविधियों एवं विवि के इतिहास से संबंधित छाया चित्रों का संकलन प्रस्तुत किया।

    नंबर वन रही किच्छा की दुधारू भैंस
    पशु प्रदर्शनी में किच्छा निवासी जैनुल की दुधारु भैस को सर्वोतम पशु पोषित किया गया। प्रदर्शनी में कुल 84 पशु शामिल किए गए। दुधारू भैंस वर्ग में जैनुल की भैंस, गाभिन वर्ग में भूरा की भैंस, कटरा वर्ग में इस्माइल का कटरा, देसी बछिया वर्ग में भूपेंद्र भारती की बछिया, देसी दुधारू गाय वर्ग में दीपक की गाय, सेंकर गाभिन गाय वर्ग में डॉ. सलीम की गाय, संकर दुधारू गाय वर्ग में विजय की गाय एवं बकरी बच्चा वर्ग में कुमारी रुकसाना की बकरी, बकरा वर्ग में सुरेन्द्र कुमार का बकरा तथा चकारी वर्ग में कृष के पशु प्रथम स्थान पर रहे।
    वीसी ने बताया गर्मी में धान का विकल्प
    कुलपति ने किसानों से गर्मी के धान के विकल्प के रूप में बसंतकालीन मक्का को अपनाने पर जोर दिया। इस अवसर पर राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. दिलीप गोसाई ने मक्का से साइलेज बनाकर दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की अपील की। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने अखिल भारतीय मक्का अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति उप-परियोजना कार्यक्रम में किसानों को पावर टिलर का वितरण किया। कुलपति ने समृद्धि कृषक उत्पादक सहकारी समिति गदरपुर एवं प्रगतिशील कृषक उत्पादक सहकारी समिति काशीपुर के कृषकों को पावर टिलर वितरित किए।

    साहीवाल बछिया ने बना डाला रिकॉर्ड
    किसान मेले में साहीवाल बछिया को देख हर कोई मुग्ध हो गया। इस बछिया को देहरादून के राजेन्द्र सिंह ने 1.01 लाख रुपये में हासिल किया। भैंस की कटिया की अधिकतम नीलामी दर सितारगंज के सुखविंदर सिंह ने 1.26 लाख ने लगाई। दूसरी कटिया रुद्रपुर के बलविंदर सिंह ने 1.07 लाख में प्राप्त की। नीलामी में छह पशु कुल 5.33 लाख में नीलाम हुए।

    हाल में आयोजित किसान मेले में प्रकाशन निदेशालय के स्टाल पर पुस्तकों का अवलोकन करते किसान।

    रोजाना एक हजार किसानों का पंजीकरण
    अखिल भारतीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय के विभिन्न केंद्रों के स्टॉलों से खरीफ की विभिन्न फसलों के बीजों की बिक्री हुई। दूसरे दिन दोपहर तक फसल अनुसंधान केंद्र, प्रजनक बीज उत्पादन केंद्र, विश्वविद्यालय फार्म तथा एटिक द्वारा लगभग 9.20 लाख रुपये के विभिन्न खरीफ फसलों के बीजों की बिक्री की गई। औषधीय एवं सगंध पौध अनुसंधान केंद्र, आदर्श पुष्प वाटिका, सम्ती अनुसंधान केंद्र, उद्यान अनुसंधान केंद्र तथा कृषि वानिकी अनुसंधान केंद्र के स्टॉलों से लगभग 88 हजार रुपये के बीज व पौधों की बिक्री की गई। प्रकाशन निदेशालय तथा एटिक के स्टॉल से लगभग 22 हजार रुपये के प्रकाशनों की बिक्री की गई। मेले में लगे निजी क्षेत्र के विभिन्न स्टॉल से विभिन्न प्रकार के बीजों एवं पौधों की बिक्री की गई।

    वर्ल्ड रैंकिंग में 100 स्थानों की छलांग
    किसान मेले के सफल आयोजन का जश्न पंत विवि मना ही रहा था तभी उसके खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने अभूतपूर्व सुधार करते हुए बड़ी छलांग लगाई। पिछले साल विवि की रैंकिंग जहां 300 से 350वें स्थान के बीच थी, अब यह 200 के अंदर आ गया। यानी, 100 स्थानों का सुधार हुआ है। इसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा, यह उपलब्धि विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार कार्यों में निरंतर प्रयासों और समर्पण का परिणाम है। विश्वविद्यालय दिन-रात कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट अकादमिक, अनुसंधान एवं विस्तार कार्यों को आगे बढ़ाते हुए देश और समाज की सेवा कर रहा है।

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