Author: teerandaj

उत्तराखंड में चंपावत जिले से लगा है तराई का खटीमा और यहां के खूबसूरत बाहरी इलाके में है छिनकी फार्म। यहां पर ज्यादातर थारू जनजाति के लोग रहते हैं। इस इलाके में teerandaj.com की टीम को एक खूबसूरत इमारत दिखी। देखते ही इसके बारे में जानने की इच्छा हुआ। रास्ते में मिले लोगों से जब इस इमारत के बारे में पूछा तो सबने यही कहा कि यह बहुत अच्छा स्कूल है। इस इलाके में एक ऐसे स्कूल की परिकल्पना करना कमर्शियली भी बहुत बड़ी बात है। आखिरकार हम आ पहुंचे डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल में। यहां हमारी मुलाकात हुई इस स्कूल…

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पहाड़ों की रानी मसूरी से मिलने तो आप कई बार गए होंगे, लेकिन इस बार हम आपको ले चलते मां सुरकंडा देवी के चरणों में जहां पहुंच आपको सचमुच ऐसा लगेगा कि आपने मां के साक्षात् दर्शन कर लिए। यकीन मानें आपको प्रवेश द्वार की ओर पग बढ़ाते ही मां की उपस्थिति का अहसास होने लगेगा। और यहां पहुंचने में हुई आपकी थकान कहां फुर्र से गायब हो जाएगी आपको पता ही नहीं चलेगा। कद्दूखाल पहुंचकर आप उस रास्ते की ओर रूख करते हैं जो सीधे सुरकंडा देवी मंदिर की ओर जाता है। यहां से 1.3 किमी की दूरी पर…

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उत्तराखंड में हर साल जगह-जगह लाखों पेड़ लगाए जाते हैं। बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। सवाल ये है कि जब हर साल इतने लाखों-करोड़ों पेड़ लग रहे हैं तो उत्तराखंड में जमीन ही नहीं बचनी चाहिए। लेकिन हुआ ये है कि हमें जिस चीज पर ध्यान देना चाहिए था वो है सर्वाइवल रेट। हम कितने पौधे लगाते हैं और कितने पौधे उनमें से बच पाते हैं, हमने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। कभी किसी ने यह नहीं जाना कि जो पौधे हमने लगाए हैं, क्या वो सरवाइव कर रहे हैं। बहुत कम लोग हैं जो व्यक्तिगत स्तर पर…

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सड़क तुम अब पहुंची हो गांव, जब पूरा गांव शहर जा चुका…। ये महज दो लाइनें नहीं बल्कि हमारे पहाड़ की स्याह हकीकत है। पहाड़ों को लेकर भावुक कोई भी व्यक्ति जब भी इन लाइनों को सुनेगा, उसके अंदर भावनात्मक ज्वार निश्चित तौर पर उठेगा। हमारी एक हकीकत ये भी है कि अगर हमारी बात कोई दूसरा करे तो जल्दी समझ आती है। इन लाइनों और इनके रचनाकार को लोगों ने तब तलाशना शुरू किया, जब एक कार्यक्रम में मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने इन लाइनों को पढ़ा। उससे पहले सिर्फ साहित्यिक रूप से सक्रिय लोगों तक ही ये लाइनें…

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मौसम के बदले मिजाज ने एक अलग सी बेचैनी पैदा कर दी है। कंकरीट की ऊंची-ऊंची इमारतों में तब्दील हो चुके शहरों से लोग पहाड़ों की तरफ भाग रहे हैं। उन्होंने सुकून चाहिए। लेकिन हकीकत ये है कि पहाड़ दरक रहे हैं। पत्थर सरक रहे हैं। फिर भी कुछ पल इन पहाड़ों में बिताने के लिए गाड़ियों का रेला चला आ रहा है। बड़ा सवाल यही है कि क्या प्राकृतिक खूबसूरती से लबरेज हमारे पहाड़ इतना दबाव बर्दाश्त कर पाएंगे। टूरिज्म (Tourism) हमारी आर्थिकी का सबसे अहम हिस्सा है लेकिन टूरिज्म को प्रमोट करने के नाम पर कहीं हम प्रकृति…

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पिछले कुछ साल में गौरक्षकों को लेकर इस देश में काफी डिबेट हुई। कई बार ऐसा होता है कि गाय को बचाने वाले लोग हिंसा का शिकार हो जाते हैं। यहां तक की बहुत सारे गौरक्षकों ने अपनी जान तक गंवाई है। ऐसे में सवाल ये है कि जो गोवंश बचाया जाता है, उनका क्या होता है? सरकारी सिस्टम क्या इतना सक्षम है? सरकारी गौशालाओं की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। हम इस तलाश में थे कि क्या कोई व्यक्तिगत स्तर पर ऐसा कुछ कर रहा है जिसे देखकर ये कहा जा सके कि सच में गौ सेवा…

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उत्तराखंड में जब भी खेलों की बात होती है तो एक जिले का नाम हमेशा लिया जाता है और वह जिला है पिथौरागढ़। यहां जब खेलों की बात होती है तो यहां के बॉक्सिंग और फुटबॉल का कोई सानी नहीं है कोई मैच ही नहीं है। उसके पीछे वजह यह है कि यहां से टैलेंट लगातार बाहर आता रहता है। ‘तीरंदाज’ की टीम ऐसे ही टैलेंट से मुलाकात करने जा पहुंची। हमें यह समझना था कि ऐसा क्या है पिथौरागढ़ में जो यहां से इतने सारे नेशनल और इंटरनेशनल बॉक्सर्स निकलते हैं। यह सिलसिला हरि थापा से शुरू होता है…

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उत्तराखंड… प्रकृति के रंग में रचे-बसे लोक उत्सवों की धरती… जिसके हर हिस्से में अपनी लोक गाथाओं, मान्यताओं, मेलों, उत्सवों के अनोखे-अनूठे किस्से हैं। हर किस्सा एक-दूसरे से बिल्कुल अलग, बिल्कुल जुदा। ऐसा ही एक अनोखा लोक उत्सव है हिल-जात्रा…। मुखौटा शैली के उत्सवों में सबसे अलग है सीमांत जिले पिथौरागढ़ की हिल जात्रा। हर किरदार जीवंत, हर किरदार दिलचस्प और उतनी ही रोमांचित कर देने वाली है… हिल-जात्रा की किस्सागोई।  रोमांच से भरे इस सिलसिले का अतीत नेपाल से तिब्बत तक ले जाता है। ये 600 से 700 साल पुरानी विरासत है, जो दो देशों के साझा अतीत को जितना जोड़ती है उतनी ही…

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नरेंद्र सिंह नेगी… उत्तराखंडी गीत-संगीत, काव्य जगत का एक ऐसा नाम जिनके बारे में जितना कहा जाए, सुना जाए कम ही लगता है। ऐसे में teerandaj.com ने उनकी जिंदगी के तमाम पहलुओं को उनकी पत्नी ऊषा नेगी जी की नजर से देखने की कोशिश की। एक खास शो ‘मेरे हिस्से के किस्से’ की पहली मेहमान ऊषा जी रहीं और उन्होंने जिंदगी के तमाम पहलुओं पर बात की, नेगी जी के जन्मदिन पर प्रसारित इस शो के कुछ अंश यहां पेश हैंः इतने कम समय में कितने किस्से मैं बता पाऊंगी लेकिन किस्से बहुत हैं, सुनाने के लिए। नरेंद्र सिंह नेगी…

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चीन में उत्तराखंड के साथ ही पूरे भारत की संस्कृति के संदेश वाहक अगर कोई हैं तो वो हैं देव रतूड़ी (Dev Raturi)। यह बात 1993 की है। टिहरी के घनसाली ब्लॉक केमरिया सौड़ गांव से बहुत सारे सपने लेकर युवा देव रतूड़ी अपने घर से निकले। पहले दिल्ली फिर मुंबई, दोबारा दिल्ली और उसके बाद वो पहुंच गए चीन। चीन में दो दशक का सफर तय करने के बाद Dev Raturi आज चीन में इंटरप्रेन्योर है। उनकी चीन में काफी सारे होटल्स की चैन हैं। इतना ही नहीं उन्होंने काफी सारी चीनी फिल्मों में भी काम किया है। 46…

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आपने अपनी जिंदगी में कितने साल पुराना देखा होगा। कुछ लोग कहेंगे कि हमने 50 साल 100 साल 200 साल ज्यादा से ज्यादा 2800 साल पुराना पेड़ देखा है। teerandaj.com की टीम मलारी से आपके लिए कुछ खास लाई है। यह एक खूबसूरत पेड़ है, इसे ‘देव वृक्ष’ भी कहते हैं। यकीन मानिये जब हम आपको इस पेड़ की उम्र के बारे में बताएंगे तो आप चौंक जाएंगे। यह बात ऐसी नहीं है कि किसी ने कह दिया और हमने मान ली। इस पेड़ की उम्र डेंड्रियाक्रॉनोलॉजी से निकाली गई है। इस पेड़ की उम्र 1200 साल से ज्यादा है।…

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