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    Home»कवर स्टोरी»Fire Season-2025 खत्म, पिछले साल 1276 तो इस साल महज 216 घटनाएं
    कवर स्टोरी

    Fire Season-2025 खत्म, पिछले साल 1276 तो इस साल महज 216 घटनाएं

    मौसम की मेहरबानी और सतर्कता की वजह से कम हुईं घटनाएं। पिछले साल के मुकाबले 1060 घटनाएं कम रिकॉर्ड की गईं। 2024 में 1773 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा था तो इस बार 234 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान  पहुंचा है। 
    teerandajBy teerandajJune 16, 2025Updated:June 19, 2025No Comments
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    उत्तराखंड के लिए यह Fire Season-2025 राहत भरा रहा। पिछले साल जहां 1276 घटनाएं दर्ज की गई थीं। वहीं, इस बार यह महज 216 रहीं। कुल 234.45 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। राहत के पीछे सबसे बड़ी वजह मौसम रहा। अल्मोड़ा में तो फायर सीजन में आग की मात्र पांच घटनाएं सामने आईं। जिसमें साढ़े नौ हेक्टेयर जंगल जला। वर्षा की बौछारों ने आग की घटनाओं को पांच साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा दिया। बतादें कि 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन माना जाता है। फायर सीजन खत्म होने के बाद भी वनकर्मियों को सतर्क रहने को कहा गया है। हालांकि, उत्तराखंड के अधिकांश जिलों में बारिश शुरू हो चुकी है या होने की संभावना है। इसलिए अब राहत की उम्मीद है।

    मौसम रहा मेहरबान

    इसमें सबसे बड़ा योगदान मौसम का रहा। बीच-बीच में हुई बारिश जंगलों के लिए अमृत साबित हुई। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार ने जंगलों में आग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए। कार्य योजना को लागू किया गया। फायर सीजन शुरू होने के काफी पहले से ही वन विभाग ने जागरूकता अभियान चलाया। जिसमें 1,20,000 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर और फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप लॉन्च किए गए। सैटेलाइट की मदद से भी जंगल की आग पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा पिछले साल से सबक लेते हुए सरकार ने भी रिस्पांस टाइम घटाया। यानी, सूचना मिलने के बाद तुरंत एक्शन। इन सब वजहों से हमारे जंगल सुरक्षित रहे।

    हर साल औसतन 1743.16 हेक्टेयर जंगल को क्षति
    71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड के जंगल आक्सीजन का विपुल भंडार हैं, लेकिन हर साल ही इन्हें आग से क्षति पहुंच रही है। वर्ष 2020 से लेकर अब तक की घटनाओं पर ही गौर करें तो इन छह वर्षों में आग से 10458.95 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा। इस दृष्टि से देखें तो हर साल औसतन 1743.16 हेक्टेयर जंगल को क्षति पहुंच रही है। यद्यपि, पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार अब तक आग की घटनाएं काफी कम हैं।

    सबसे कम घटनाएं कोविड काल में…
    वर्ष 2014 से शुरू करते हैं। उस साल 515 वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गई थीं। इसमें 930 हेक्टेयर क्षेत्रफल वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। वहीं, 2015 में यह घटनाएं कम हो गईं। 212 घटनाएं दर्ज की गईं। नुकसान 701 हेक्टेयर में हुआ। कोरोना के शुरुआती दौर यानी 2020 में महज 135 घटनाएं दर्ज की गईं। 172 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। वहीं, 2021 में सबसे ज्यादा घटनाएं दर्ज की गईं। उस साल 2813 घटनाएं रिपोर्ट की गईं। 3943 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। जंगल की आग की घटनाओं में कमी का एक बड़ा कारण बारिश रही। इसके अलावा वन विभाग ने भी पिछले साल की घटनाओं के मद्देनजर पहले से कई कदम उठाएं, जिसका भी लाभ मिला है।

    इस साल का आंकड़ा

    मंडल                   आग की घटनाएं             प्रभावित क्षेत्रफल
    गढ़वाल                  120                                   121.69
    कुमाऊं                   76                                      89.21
    वन्यजीव क्षेत्र            20                                     23.55

    पिछले कुछ सालों का आंकड़ों

    वर्ष             घटना                  प्रभावित क्षेत्रफल (हेक्टेयर)
    2014            515                    930
    2015           412                     701
    2016          2074                  4433
    2017           805                   1244
    2018          2150                  4480
    2019          2158                   2981
    2020         135                      172
    2021         2813                    3943
    2022         2186                   3425
    2023           773                     933
    2024         1276                   1773
    2025          216                    234

    यह भी पढ़ें : आस्था का बड़ा केंद्र बनता कैंची धाम, हर साल बढ़ रहे लाखों श्रद्धालु

    Uttarakhand Forest Fire
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