वरिष्ठ पत्रकार पवन लालचंद कहते हैं, कई बार जब सत्ता गहरी नींद में सो जाती है, ये मानकर चलती है कि हमारा कुछ नहीं होने वाला, तब पब्लिक उनको झकझोर देती है। अब देखना है कि युवाओं का नायक Bobby Panwar क्या सियासत का नायक बन पाता है।
Author: teerandaj
समुद्र तल से करीब 2100 मीटर ऊंचाई पर पहुंचने के बाद Maa Kalinka Dham के दर्शन होते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए गढ़वाल और कुमाऊं से कई रास्ते हैं। गढ़वाल के विकासखंड बीरोंखाल और अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे विकासखंड की सीमाओं के बीचों-बीचे ऊंचे पहाड़ की चोटी पर स्थित मंदिर का इतिहास 18वीं शताब्दी का है। गढ़वाल के आठ व कुमाऊं के सात गांवों में बसे बडियार परिवार के वंशज मां कालिंका की पूजा करते हैं। आसपास के क्षेत्रों के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से भी बहुत से लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है…
मेरा पानी उतरता देख, किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर आऊंगा…। सियासत में इन लाइनों के अलग ही मायने हैं। कुछ महीने पहले तक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (TSR) के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलबाजी कर रहे लोगों को ये अंदाजा नहीं रहा होगा कि वो इतना जोरदार कमबैक करेंगे और उनके तेवर भी इस तरह बदले होंगे। 2024 के चुनावी महासंग्राम में भाजपा की विरोधियों पर बड़ी लीड ने इस चुनाव को कुछ नीरस सा बना दिया था। अगर किसी खेल में एक टीम की जीत निश्चित नजर आ रही हो तो लोगों की दिलचस्पी…
रुद्रपुर में पीएम मोदी (PM Modi) ने अपनी पहली रैली में यह बात कही। पीएम मोदी ने कहा, मैं कहता हूं- भ्रष्टाचार हटाओ। वो कहते हैं- भ्रष्टाचारी बचाओ। लेकिन मोदी इनकी गालियों और धमकियों से डरने वाला नहीं है। हर भ्रष्ट पर कार्रवाई जारी रहेगी।
हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उट्ठें वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं साहिर लुधियानवी का यह शेर चौखुटिया ब्लॉक के चौकोड़ी गांव की महिलाओं पर एकदम सटीक बैठती है। पारंपरिक खेती में जब घाटा होने लगा तो इन्होंने कुछ अलग करने की सोची। इसके बाद यहां की कुछ महिलाओं ने योग सीखा बाद में सबको ट्रेनिंग देने लगीं। कुछ ने स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से चप्पलें बनाने का काम शुरू किया। कुछ ने बिच्छू की घास से पैसे कमाने शुरू किए। बिच्छू की घास नाम से आप चौंक गए होंगे। कई लोगों को यह अजीब लग रहा…
Reverse Migration (रिवर्स पलायन) खाली हो रहे उत्तराखंड (Uttarakhand) की सबसे बड़ी जरूरत है। पहाड़ छोड़कर जाने वाले अक्सर ये दलील देते हैं कि काफी समय हो गया है, अब वापस लौटना मुश्किल है, क्योंकि, रहन-सहन का तरीका बदल चुका है। पहाड़ों पर वो सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी जो हमें शहरों में मिलती हैं। लेकिन कुछ अपवाद भी हैं,ऐसे लोग भी हैं, जिनके पास सारे संसाधन हैं बावजूद इसके वे पहाड़ों पर लौटे। साथ ही मिसाल भी कायम की। इनमें से ही हैं बीएल मधवाल और उनकी पत्नी अनीता मधवाल। बेटा-बहू एयरफोर्स में विंग कमांडर। बेटी डेंटिस्ट, दामाद माइक्रोसॉफ्ट में…
चुनावी शोर चरम पर है। देश के हर हिस्से में गहमागहमी है। हमारा पहाड़ भी इससे अछूता नहीं है। पर, विडंबना यह है कि इस चुनावी शोर में पहाड़ी किसानों की आवाज दब सी गई है। बड़ी-बड़ी बातों के बीच किसानों के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं की बात करने वाला कोई नहीं है। चुनावी शोर के बीच तीरंदाज अर्जुन रावत अल्मोडा के चौखुटिया ब्लॉक के चौकोड़ी गांव में अन्नदाताओं के बीच पहुंचे। इस उम्मीद के साथ कि हमारे माध्यम से महिला किसानों की आवाज हुक्मरानों के कानों तक पहुंचे। ताकि वह जमीनी स्तर पर कुछ करें। पानी न खाद, ऊपर…
एनएचबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी कैंपस में बना एक मकान बरबस अपनी ओर ध्यान खींच लेता है। आवास के परिसर में जगह-जगह रखे गए ढेर सारे रंग-बिरंगे घोंसलें रुकने पर मजबूर कर देते हैं। चिड़ियों की चहचहाहट ऐसी, जैसे कोई मधुर संगीत। पक्षी प्रेमियों को यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं लगेगी। इस परिसर की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाले सुभाष चंद्र भट्ट कहते हैं, बचपन से ही पक्षी उन्हें लुभाते रहे हैं। देवभूमि में नौकरी लग गई। यहां का वातावरण अनुकूल होने के कारण अपने इस शौक को पूरा करने का मौका मिल गया। अब तो नींद भी…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं में बैठने जा रहे बच्चों से ‘परीक्षा पे चर्चा’ (Pariksha Pe Charcha) की। परीक्षा से पहले बच्चों के तनाव को कम करने के लिए पीएम मोदी द्वारा यह पहल की गई है। यह इस देशव्यापी कार्यक्रम का 7वां संस्करण था। दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान खटीमा के छिनकी फॉर्म स्थित डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल एकेडमी की छात्रा स्नेहा त्यागी ने ऑनलाइन माध्यम से पीएम मोदी से सवाल पूछा। देश भर 15 बच्चों का चयन पीएम से सवाल पूछने के लिए किया जाता है। स्नेहा…
उत्तराखंड में कड़े भूमि-कानून (Land Law in Uttarakhand) के अभाव में यहां के मूल निवासियों के पांव के नीचे से जमीन खिसकती जा रही है। हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड अकेला है, जहां जमीनों की खरीद-फरोख्त की खुली छूट है। उत्तर पूर्व के राज्य संविधान के अनुसूची-6 के तहत संरक्षित हैं और हिमाचल प्रदेश में 1972 में टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट-1972 की धारा-118 लागू है, जबकि जम्मू-कश्मीर, अनुच्छेद-370 के तहत संरक्षित रहा। इस विवादित अनुच्छेद के हटने के बाद भी कोई वहां जमीन खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।उत्तराखंड की तराई में पहले ही बाहरी लोगों ने थारू-बुक्सा…
Bhu Kanoon की मांग को लेकर खड़े हो रहे जन-आंदोलन से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि देश के बाकी हिस्सों में जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर क्या कानून हैं। ‘सात बहनें’ कहे जाने वाले पूर्वोत्तर राज्यों में बाहर के लोग न तो जमीन खरीद सकते हैं और न जमीन खरीदकर उद्योग लगा सकते हैं। असम के अलावा सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मेघालय के अलावा त्रिपुरा में भी कई इलाके हैं, जहां इसी तरह के संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं ताकि स्थानीय लोगों की आबादी बाहरी लोगों के आने से कम ना हो जाए। हिमाचल प्रदेश,…
आज जब उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून (Bhu Kanoon) की मांग हो रही है, तब याद आता है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन और राज्य गठन की प्रक्रिया के दौरान कुछ लोग तो थे जो पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन को बचाने के सवाल को भी उठाते थे। ये वो लोग रहे होंगे जो देश के पहाड़ी राज्यों में संविधान के अनुच्छेद-371 के अंतर्गत की गई विशेष व्यवस्थाओं से परिचित रहे होंगे, क्योंकि जमीन बचाने की बात के साथ अनुच्छेद-371 की चर्चा होती थी। जम्मू-कश्मीर को लेकर संविधान का अनुच्छेद-370 हमेशा चर्चा में रहा। लेकिन अनुच्छेद-371 के बारे में कोई खास जानकारी लोगों…
जल, जंगल, जमीन… उत्तराखंड (Uttarakhand) के पास बहुत प्राकृतिक संसाधन हैं। ऐसे रिन्यूएबर रिसोर्सेस हैं, जो पानी से लेकर जमीन तक सबको जिंदा रखते हैं। यह सोचनीय स्थिति है कि जिन स्रोतों का रखरखाव हम करते हैं, उनका दोहन अन्य लोग कर रहे हैं। उत्तराखंड का तेजी से दोहन हो रहा है। यह एक ऐसा सोर्स बन गया है जो अन्य लोगों को संपन्न बना रहा है लेकिन यहां के मूल निवासी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं का इंतजार कर रहे हैं। इन्हीं की तलाश में पहाड़ खाली हो रहे हैं और बाहर से बड़ी संख्या में लोग पहाड़ों…
गैरसैंण… एक ऐसी जगह जो राज्य आंदोलन के दौरान पहाड़ की आशा, आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब रही, लेकिन राज्य गठन के साथ ही जिसको प्राथमिकताओं से लगभग हटा दिया गया। ये जगह महज रस्मी कवायद तक महदूद हो गई। ‘अतुल्य उत्तराखंड-तीरंदाज.कॉम’ की टीम ने ग्राउंड पर जाकर उन उम्मीदों, आशाओं को एक बार फिर टटोलने का प्रयास किया जो दो दशक के कालखंड में कहीं दब सी गईं। इस Ground Report की शुरुआत का सिलसिला गैड़ गांव से हुआ, जिसके नाम से ही इस जगह को गैड़सैंण और फिर गैरसैंण से जाना गया। कहते हैं अगर पहाड़ की सही नब्ज़ टटोलनी…
22 जनवरी भारत के सांस्कृतिक अभ्युदय की तिथि बन गई है। शुभ मुहूर्त में रामजन्म भूमि अयोध्या में बने नव्य, दिव्य, भव्य धाम में बने Ram Mandir में प्रभु श्री राम के बाल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई। वैदिक मंत्रोच्चार और शहनाई पर पायो जी मैंने राम रतन धन पायो की आलौकिक धुन के साथ मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों यह पूजा संपन्न हुई। इस दौरान आरएसएस के सरसंघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, रामजन्मभूमि न्यास के प्रमुख और छह अन्य यजमान भी उपस्थित रहे। इस…
Ground Report: उत्तराखंड जैसे छोटे पहाड़ी राज्य में गांवों में रोजगार के अवसर न बन पाने और पलायन के बाद बाहरी लोगों का आना तेज हुआ। इसकी वजह से बड़ी संख्या में जमीनें खरीदी और बेची जाने लगी। किसी सख्त भू-कानून के न होने के कारण यहां कोई भी आकर, कितनी भी जमीन खरीद सकता है। पहाड़ी इलाकों में सस्ते दामों में जमीन खरीदकर उसे बाहरी लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। उत्तराखंड राज्य के गठन के साथ ही इस मुद्दे को गंभीरता से देखने की जरूरत थी, लेकिन सरकारों ने इतनी शिथिलता दिखाई कि परिस्थितियां बद…