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    दुनिया भर की

    Climate Change : धूप की गुणवत्ता में हो रही गिरावट, सौर ऊर्जा उत्पादन होगा प्रभावित

    अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण सौर विकिरण को सौर पैनलों तक पहुंचने से रोकता है। जिस कारण बिजली उत्पादन कम होता है।
    teerandajBy teerandajMarch 31, 2025No Comments
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    Climate Change : जलवायु प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ पृथ्वी पर ही नहीं पड़ा है, यह सूर्य तक पहुंच चुका है। यहां सूर्य का तात्पर्य ग्रह तक नहीं बल्कि उसकी रोशनी से है। एक अध्ययन में सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सूर्य की किरणें जो पृथ्वी तक पहुंचती हैं उनकी गुणवत्ता में गिरावट आई है। इसका बड़ा प्रभाव सौर ऊर्जा पर पड़ेगा। आशंका जताई जा रही है कि इससे सौर ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हो सकता है। यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने किया है।

    अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तरह, सौर फोटोवोल्टिक ऊर्जा भी मौसम और जलवायु पर निर्भर है। भारत में साल में 300 धूप वाले दिन होते हैं, लेकिन वायु प्रदूषण के कारण उनकी गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध इस बात की जांच करने वाला पहला शोध है। इसमें बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन भारत में सौर-सेल दक्षता पर कैसे असर डाल सकता है?

    पृथ्वी की सतह पर सौर विकिरण समय के साथ स्थिर नहीं रहता है, बल्कि इसमें लंबे समय से भारी बदलाव होते जा रहे हैं, जिन्हें वैश्विक मंदता और चमक कहा जाता है। यह अंतर वायुमंडलीय बादलों, एरोसोल या पार्टिकुलेट मैटर, जल वाष्प और विकिरण सक्रिय गैस अणुओं जैसे ओजोन पर निर्भर करती है। बादल परावर्तित करते हैं और एरोसोल सतह तक पहुंचने वाले, आने वाले सौर विकिरण को या तो बिखेर देते हैं या अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए, बादल या धुंधले दिन पर, पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के कारण, कम सौर विकिरण सौर पैनल पर पड़ेगा और सौर ऊर्जा का उत्पादन कम होगा।

    निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने दो अध्ययन किया। पहले में वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए मध्यम स्तर के प्रयास शामिल थे। दूसरे में जलवायु परिवर्तन के लिए कमजोर प्रयास थे लेकिन वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय मजबूत थे। वायु प्रदूषण सौर विकिरण को सौर पैनलों तक पहुंचने से रोकता है, जिसके कारण बिजली का उत्पादन कम होता है। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान से सौर सेल की दक्षता भी कम हो जाती है। मॉडल ने पाया कि सदी के मध्य तक, भारत में सौर पैनलों की दक्षता दूसरे परिदृश्य में 2.3 फीसदी कम हो जाएगी, लेकिन पहले परिदृश्य में यह अधिक मात्रा में घटेगी। वर्तमान सौर ऊर्जा उत्पादन स्तरों के आधार पर, हर साल कम से कम 840 गीगावाट-घंटे बिजली का नुकसान होता है।


    यह अध्ययन भविष्य के नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। यह शोध वैश्विक जलवायु मॉडल से विकिरण आंकड़ों पर आधारित फोटोवोल्टिक दक्षता पर बढ़ते वायु प्रदूषण के पड़ने वाले प्रभाव के बारे में अहम जानकारी प्रदान करता है। सौर सेल तेज धूप में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं। उन्हें ठंडा करने के लिए कम परिवेश के तापमान और उनके ऊपर हवा के प्रवाह की भी आवश्यकता होती है। इन कारणों में किसी भी तरह की गड़बड़ी सौर सेल के प्रदर्शन को कम करता है।

    शोध में पाया गया कि सौर विकिरण सौर-सेल दक्षता को प्रभावित करने वाला मुख्य कारण था। तापमान इसके बाद आता है, उसके बाद परिवेशी हवा की गति, हालांकि यह बहुत कम प्रभावशाली थी। शोध पत्र में यह भी बताया गया है कि उच्च परिवेशी तापमान के कारण सदी के मध्य तक सौर सेलों का तापमान दो डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने के आसार हैं। परिवेशी वायु तापमान और सेल तापमान के बीच अंतर करना जरूरी है, क्योंकि सौर सेल सूर्य के संपर्क के कारण आसपास के वायु के तापमान से काफी अधिक गर्म हो सकते हैं।

    शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से यह भी बताया गया है कि भारत के पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों के साथ-साथ केरल में भी समय के साथ सौर ऊर्जा की अधिक संभावनाएं विकसित होंगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन क्षेत्रों में बादलों की मात्रा के कम होने का अनुमान है। भारत दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश है। 2030 तक भारत ने अपनी मांग का 50 फीसदी उत्पादन गैर जीवाश्म ईंधन वाले स्रोतों से उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है। इसे हासिल करने के लिए 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की योजना बनाई है। इसका पांचवां हिस्सा सौर ऊर्जा के रूप में पैदा करने की योजना है। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार अधिक से अधिक सौर पार्क विकसित करने पर जोर दे रही है। साथ ही छतों पर सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा भी दे रही है।

    यह भी पढ़ें :  क्या अवैध खनन बिगाड़ रहा देवभूमि का स्वरूप, खनन सचिव के दावे और हकीकत!

    Climate Change जलवायु परिवर्तन
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