नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कार्की शुक्रवार को नेपाल की पहली अंतरिम महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं। सुशीला कार्की को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने रात करीब साढ़े आठ बजे पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके नाम पर मतभेदों की खबरों के बीच शुक्रवार शाम तक सहमति बन गई थी। केपी ओली जो भारत विरोधी रुख की वजह से भी जाने जाते हैं, उन्होंने सोशल मीडिया पर बैन लगाकर आंदोलन को हवा दी। नतीजतन उन्हें इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। हिंसक प्रदर्शनों में नेपाल में जगह-जगह आगजनी हुई। पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शन और उससे जुड़ी अलग-अलग घटनाओं में अब तक 51 लोगों की जान जा चुकी है।
सुशीला कार्की को ईमानदार छवि वाले नेता के रूप में जाना जाता है। उन्हें अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए युवा प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग का समर्थन प्राप्त था। जेन जी आंदोलन में युवाओं के बीच मशहूर लोकप्रिय रैपर और काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने भी सुशीला कार्की के नाम का समर्थन किया था। उन्होंने अपने एक एक्स पोस्ट में लिखा, अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए आप लोगों ने (युवाओं ने) जो नाम दिया है, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का, उसे मैं पूरा समर्थन देता हूं। सुशीला कार्की ने इस बारे में कहा था कि उन्होंने (युवाओं ने) मुझसे अनुरोध किया और मैंने स्वीकार किया।
कार्की ने कहा कि युवाओं का विश्वास उन पर है और वे चाहते हैं कि चुनाव कराए जाएं और देश को अराजकता से निकाला जाए। कुछ समय पहले एक टीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जेन जी समूह ने नेपाल में आंदोलन शुरू किया। उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें मुझ पर विश्वास है और मैं एक छोटे समय के लिए सरकार चला सकती हूं। ताकि चुनाव कराए जा सकें। उन्होंने मुझसे अनुरोध किया और मैंने स्वीकार किया। कार्की ने कहा था कि मेरा पहला ध्यान उन लड़कों और लड़कियों पर होगा, जो आंदोलन में मारे गए। हमें उनके लिए और उनके परिवारों के लिए कुछ करना होगा, जो गहरे दुख में हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन की पहली मांग प्रधानमंत्री का इस्तीफा थी, जो पूरी हो गई है। अब अगली मांग देश से भ्रष्टाचार हटाने की है।

जानिए कौन है सुशील कार्की
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर में हुआ। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 1972 में बिराटनगर से स्नातक किया। 1975 में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1979 में उन्होंने बिराटनगर में वकालत की शुरुआत की। इसी दौरान 1985 में धरान के महेंद्र मल्टीपल कैंपस में वे सहायक अध्यापिका के रूप में भी कार्यरत रहीं। उनकी न्यायिक यात्रा का अहम पड़ाव 2009 में आया, जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 2010 में वे स्थायी न्यायाधीश बनीं। 2016 में कुछ समय के लिए वे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहीं और 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला। सुशीला कार्की के सख्त रवैए के कारण उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था।
करना पड़ा था महाभियोग का सामना
सुशीला कार्की ने नेपाली कांग्रेस के नेता दुर्गा सुबेदी से शादी की। बिराटनगर और धरान में तीन दशकों से ज्यादा समय तक वकालत करने के बाद उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में प्रवेश किया। सुशीला कार्की तब सुर्खियों में आईं जब उन्होंने कांग्रेस नेता जेपी गुप्ता को संचार मंत्री के पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग 11 महीने के कार्यकाल के दौरान उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा और उन्हें निलंबित कर दिया गया। अप्रैल 2017 में उस समय की सरकार ने संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव रखा। आरोप लगाया गया कि उन्होंने पक्षपात किया और सरकार के काम में दखल दिया। प्रस्ताव आने के बाद जांच पूरी होने तक उन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद से निलंबित कर दिया गया। इस दौरान जनता ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के समर्थन में आवाज़ उठाई और सुप्रीम कोर्ट ने संसद को आगे की कार्रवाई से रोक दिया। बढ़ते दबाव के बीच कुछ ही हफ्तों में संसद को प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। इस घटना से सुशीला कार्की की पहचान एक ऐसी न्यायाधीश के रूप में बनी, जो सत्ता के दबाव में नहीं झुकतीं। मैंने बीएचयू में पढ़ाई की है. वहां की बहुत सी यादें हैं। मैं अपने शिक्षकों, दोस्तों को आज भी याद करती हूं। गंगा नदी, उसके किनारे हॉस्टल और गर्मियों की रातों में छत पर बैठकर बहती गंगा को निहारना मुझे आज भी याद है। मेरे घर से भारत की सीमा केवल लगभग 25 मील दूर है। मैं नियमित रूप से बॉर्डर मार्केट जाती थी। मैं हिंदी बोल सकती हूं उतनी अच्छी नहीं लेकिन बोल सकती हूं।
भारत-नेपाल के रिश्ते बहुत पुराने हैं : कार्की
भारत नेपाल के रिश्ते के बारे में नेपाल की प्रधानमंत्री की राय स्पष्ट है। पीएम बनने से पहले दिए गए इंटरव्यू में वह कहती हैं-भारत और नेपाल के रिश्ते बहुत पुराने हैं। सरकारें अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन जनता का रिश्ता बहुत गहरा है। मेरे बहुत से रिश्तेदार और परिचित भारत में हैं। अगर उन्हें कुछ होता है, तो हमें भी आंसू आते हैं। हमारे बीच गहरी आत्मीयता और प्रेम है। भारत ने हमेशा नेपाल की मदद की है। हम बेहद करीबी हैं।